दिफ़ा के शोबा में रास्त बैरूनी सरमाया कारी की हद को 49 फ़ीसद तक बढ़ा देने पर एन डी ए हुकूमत को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए साबिक़ वज़ीर दिफ़ा ए के अनटोनी ने आज कहा कि साबिक़ हुकूमत ने इस अहम शोबा में सद फ़ीसद रास्त बैरूनी सरमाया कारी के लिए काम करनेवाली लाबियों की दबाव की हिक्मते अमली को क़बूल नहीं किया था।
अनटोनी ने मर्कज़ी बजट पर अपने रद्द-ए-अमल में कहा कि वो जानते हैं कि एक बहुत ताक़तवर लॉबी काम कर रही है। इनका मांग है कि दिफ़ा के शोबा में सद फ़ीसद रास्त बैरूनी सरमाया कारी की इजाज़त दी जाये। 1991 के बाद से क़ायम होने वाली हुकूमतों ने मुसलसल इस दबाव की हिक्मत-ए-अमली को क़बूल नहीं किया था।
साबिक़ा हुकूमतों ने दिफ़ा के शोबा में रास्त बैरूनी सरमाया कारी को 26 फ़ीसद से आगे ना बढ़ाने का जो फैसला किया था वो बहुत सोचा समझा था। नरेंद्र मोदी हुकूमत की जानिब से दिफ़ा में रास्त बैरूनी सरमाया कारी की हद को 26 फ़ीसद से बढ़ा कर 49 फ़ीसद करदेने के फैसले पर तन्क़ीद करते हुए अनटोनी ने कहा कि इस से क़ौमी सलामती मुतास्सिर होसकती है।
अनटोनी ने कहा कि इस फैसले के बाद हिंदुस्तान में दिफ़ाई पैदावार करनेवाली तमाम कंपनियां बतदरीज बैरूनी मल्टीनेशनल कंपनियों के तेहत में आ जाएं गी और उन मल्टीनेशनल कंपनियों पर बड़ी ताक़तों का कंट्रोल है।