हैदराबाद । इस्लाम धर्म अल्लाह का पसंदीदा धर्म हे इस धर्म के इलावा अन्य तमाम धर्मों को परवरदिगार आलम ने मंसूख़ फ़र्मा दिया । अब क़यामत तक इस्लाम धर्म का सिक्का चल्ता रहेगा
इस्लाम धर्म के अहकाम पर अमल पैरा होने के लिए उस्वा रसूल को अपनाना ज़रूरी है बगेर उस्वा रसूल के ना धर्म पर अमल हो सकेगा ना रब उलआलमीन की रज़ा-ओ-ख़ुशनुदी हासिल हो सकेगी ।
इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना मुहम्मद इक्बाल रिज़वी ने कूल हिंद मर्कज़ी रहमत आलम कमेटी के ज़ेर एहतिमाम बर्र-ए-सग़ीर हिंद की पांचवीं सालाना ताजदार मदीना कान्फ़्रैंस के ज़िम्न में इज्लास मुनाक़िदा बमुक़ाम का दरिया इस्लामी सैंटर , दबीर पूरा से ख़िताब किया ।
मौलाना डाक्टर अबद उल्नईम कादरी ( नायब सदर ) ने कहा कि एक मुसल्मान को चाहीए कि वो जहां कहीं भी रहे दीन इस्लाम पर सख़्ती से अमल करते हुए वो इस्लाम का नुमाइंदा बने । आप्सी इत्तिफ़ाक़-ओ-इत्तिहाद और भाई चारगी के इलावा पड़ोसियों के हुक़ूक़ की हिफ़ाज़त करते हुए अवाम का दिल दीन इस्लाम की तरफ़ खींचे ।
ज़रूरत इस बात की है कि हम इस्लाम की हक़्क़ानियत और दीन की बुनियादी तालीमात की इशाअत पर मब्नी तमाम तवानाईयां सर्फ़ करें ।
अंबर पेट एम सी एच ग्राउंड में बर्र-ए-सग़ीर हिंद की पांचवीं सालाना ताज्दार मदीना कान्फ़्रैंस उन्ही अग़राज़-ओ-मक़ासिद के तहत कूल हिंद मर्कज़ी रहमत आलम कमेटी मुनाक़िद कर रही है ।
मुहम्मद शाहिद इक्बाल कादरी ( सदर ) ने कहा कि बर्तानिया पाकिस्तान मोरेशेस से दुनिया ए इस्लाम के मुम्ताज़-ओ-मारूफ़ उलमा ए दीन इस कान्फ़्रैंस से ख़िताब करेंगे ।
अल्हाज ख़्वाजा सदर उद्दीन अहमद कादरी सिराज भाई ने इज्लास को मुख़ातब करते हुए कहा कि हम ज़्यादा से ज़्यादा तादाद में दीन हक़ की इशाअत के लिए कान्फ़्रैंस इजतेमा , दरस-ओ-तदरीस को फ़रोग़ दें ताकि हक़-ओ-बातिल का फ़र्क़ अवामुन्नास में वाज़िह हो सके ।
इस इज्लास में मुहम्मद ख़्वाजा ग़ुलाम मूईन उद्दीन रिज़वी , मुहम्मद हिदायत उल्लाह ख़ां अरशद , मुहम्मद उम्र फ़ारूक़ , सय्यद रूफ कादरी , सय्यद लईक , मुहम्मद करीम रिज़वी , मुहम्मद अली रिज़वी , मुहम्मद शीहाब , मुहम्मद यूनुस , हाफ़िज़ मुहम्मद साजिद कादरी , हाफ़िज़ मुहम्मद शेख हुसैन , मुहम्मद फ़य्याज़ उद्दीन , सदी मुहम्मद हनीफ कादरी , मुहम्मद क़ादिर , हाफ़िज़ मुहम्मद फहीम कादरी , हाफ़िज़ मुहम्मद फूर्फ़ान रिज़वी और मुहम्मद सल्मान ने शिरकत की ।
सलात-ओ-सलाम और दुआ पर इज्लास का इख़तेताम अमल में आया ।