दुनिया भर में ईरानी दहशतगर्दी की तस्वीरी रिपोर्ट

सऊदी अरब की वज़ारते ख़ारजा के एक ज़िम्मेदार का कहना है कि 1979 में इन्क़िलाब के बाद से ईरान का रिकार्ड खित्ते के ममालिक में मसाइल, इश्तिआल और शोरिशें फैलाने से भरा हुआ है, जिसका मक़सद उन मुल्कों में बदअमनी और अदम इस्तिहकाम पैदा करना था।

इस सिलसिले में ईरान ने तमाम बैनुल अक़वामी क़वानीन, मुआहिदों और अख़लाक़ी उसूलों को दीवार पर दे मारा है।

ईरान की दुश्मनाना पालिसीयों के सबब सऊदी अरब को दर्पेश संगीन मसाइल के बावजूद, ममलकत इस तमाम अर्से में ख़ुद को मुसलसल क़ाबू में रखने की पालिसी पर अमल पैरा रही।

सऊदी प्रैस एजेंसी (एस पी ए) ने वज़ारते ख़ारजा के एक ओहदेदार के हवाले से बताया कि तेहरान की ख़ारिजा पालिसी बुनियादी तौर पर ईरानी आईन के मुक़द्दमे और खुमैनी की हिदायत पर मबनी है। इन्क़िलाब को बरामद करने के उसूल ने ख़िलाफ़ वर्जीयों का सफ़र तय करते हुए रियासतों की हाकिमीयत को चैलेंज कर दिया।

“कमज़ोर और मग़्लूब अवाम की नुसरत” के नाम पर मुल्कों के दाख़िली उमूर में ज़बरदस्ती मुदाख़िलत की गई, और इसी बुनियाद पर इराक़, लेबनान, शाम और यमन में मिलिशियाओं को भर्ती किया गया।