भारत और चीन में सबसे ‘घातक’ देश बनने के लिए प्रतिस्पर्धा चल रही है, यह कहना है एक अध्ययन का जो मंगलवार को प्रकाशित किया गया है। अध्ययन के अनुसार, कवेल कोयले के उपयोग में प्रतिबन्ध लगाने से ही प्रदुषण में कमी नहीं आएगी । भारत में हर साल प्रदुषण के कारण तक़रीबन 11 लाख लोगो की मृत्यु समय से पहले होती है, जो चीन के आंकड़ो के लगभग बराबर है, यह निष्कर्ष दो अमेरिका आधारित स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थानों की संयुक्त रिपोर्ट का है।
जहाँ चीन में वायु प्रदुषण से होने वाली मौतों में कमी हुई है, वहीँ भारत में बीते कुछ सालो में प्रदुषण से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है । इन मौतों में वृद्धि का एक कारण शहरो में बढ़ता धुंध भी है।
रिपोर्ट के अनुसार,1990 से 2015 तक भारत में समय से पहले होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत बढ्रोतरी हुई है जिसका कारण वायुवाहित कण पी.एम् 2.5 है ।
यह सूक्ष्म कण इतने हल्के होते हैं की वे हवा में तैरते रहते हैं और फेफड़ों में घुस जाते हैं। इन्ही कणों के कारण फेफड़ों के कैंसर, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और हृदय रोग के दरों में बढ़ोतरी हो रही है ।
“भारत अब पीएम् 2.5 के कारण होने वाली मौतों में चीन की संख्या की बराबरी कर रहा है ,” स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान और स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया।
भारत और चीन, दोनों मिलकर दुनिया मे पीएम् 2.5 से होने वाली आधे से ज़्यादा मौतों के लिए ज़िम्मेवार है, रिपोर्ट ने कहा ।