मुंबई, 03 अप्रेल: बॉम्बे हाइकोर्ट ने दुल्हनों को जलाने के वाक़ियात को संगीन जराइम से ताबीर करते हुए सज़ाए उम्र क़ैद पाने वाले एक क़ैदी की दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया। मुल्ज़िम ने महाराष्ट्रा हुकूमत के इस फ़ैसले को चैलेंज किया था जहां मुल्ज़िम को एक ऐसे ज़ुमरे से वाबस्ता कर दिया गया था जहां उसे 26 साल की सज़ा सुनाई गई थी।
जस्टिस नरेश पाटल और ए वी नरगोड से मुश्तमिल एक बेंच ने अपना हुक्म सुनाते हुए कहा कि ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम के इर्तिकाब की सख़्त सज़ाओं के बावजूद जराइम के इर्तिकाब में कोई कमी नहीं हो रही है लिहाज़ा इन वाक़ियात को मद्द-ए-नज़र रखते हुए अदालत हुकूमत महाराष्ट्रा के इस फ़ैसले को दरुस्त क़रार देती है जहां मुल्ज़िम को एक मख़सूस ज़ुमरे से वाबस्ता किया गया है जो दरअसल मुल्ज़िमीन की वक़्त से पहले रिहाई की मुख़ालिफ़त करती है।
दरख़ास्त गुज़ार मुल्ज़िम जिस ने अपनी बीवी को जलाकर हलाक कर दिया था ने एक संगीन जुर्म का इर्तिकाब किया है जिस की मज़म्मत किए जाने की ज़रूरत है क्योंकि ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम का इर्तिकाब पूरे समाज के ख़िलाफ़ जुर्म के इर्तिकाब के मुतरादिफ़ है। लिहाज़ा इस दरख़ास्त में चूँकि कोई क़ाबिले क़ुबूल उज़र मौजूद नहीं है लिहाज़ा अदालत इसे मुस्तर्द करती है।