जेएनयू हादसे के बाद देश में राष्ट्रवाद को लेकर छिड़ी बहस में देश के खास मुस्लिम संगठन “जमीयत उलेमा-ए-हिंद” ने आज कहा कि एक खास नजरिये को थोपने की कोशिश हो रही है जो देश के लिए खतरनाक है और वो लोग राष्ट्रवाद का संदेश दे रहे हैं जिन्होंने भारत की आजादी में कोई कुर्बानी नहीं दी है।
जमीयत के सदर मौलाना अरशद मदनी ने कहा, राष्ट्रवाद पर वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने इस देश की आजादी और इसे बनाने में कोई कुर्बानी नहीं दी है। इस तरह की कोशिश हो रही है कि एक खास जेहन के लोगों को राष्ट्रवादी बताया जाए और इस जेहन का मुखालफत करने वालों को देशद्रोही बताया जाए।
उन्होंने कहा, हमारा यह मानना है कि पूरे देश में एक खास नजरिए को थोपने की कोशिश हो रही है जो हमारे देश के लिए बहुत खतरनाक है। इसके खिलाफ सभी को मिलकर आवाज उठानी होगी और देश में अमन और भाईचारा बढ़ाने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी होगी। जमीयत सदर ने यह भी इल्ज़ाम लगाया कि देश के मौजूदा माहौल में कमजोर तबकों खासकर अल्पसंख्यकों और दलितों को निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, यह हालात गंभीर है। जमीयत देश में अल्पसंख्यकों और कमजोर तबकों की मौजूदा हालात को लेकर अगले 12 मार्च को एक सम्मेलन का आयोजन भी करने जा रही है।
मदनी ने कहा, इस देश के लिए सभी मज़हब के लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। इस देश को मजबूत बनाने में भी सभी का योगदान है। पर कोशिश यह है कि कुछ लोगों की कुर्बानियों को बताया जाए और बाकी की कुर्बानियों को पीछे छोड़ दिया जाए। उन्होंने हाल के महीने में आईएसआईएस से कथित तौर पर जुड़े कुछ संदिग्धों की गिरफ्तारी को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
मदनी ने कहा, सरकार शक के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर रही है। भारत में आईसआईएस का कोई वजूद नहीं है और इसके बावजूद लोगों को पकड़ा जा रहा है। पहले भी देखा गया है कि लोग गिरफ्तार किए जाते हैं और वे बाद में अदालतों से छूट जाते हैं लेकिन इस बीच उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है।
उन्होंने कहा, अगर कुछ लोगों का रूक्षान आईएसआईएस की तरफ होता है तो गिरफ्तारी इसका हल नहीं है। उन लोगों की काउंसलिंग की जानी चाहिए और उनको गलत दिशा में कदम बढ़ाने से रोक जाना चाहिए।