देश में पूरी तरह से राजनीतिक फिल्म बनाना मुमकिन नहीं, चूंकि अभिव्यक्ति की आजादी नहीं रही : प्रकाश झा

पणजी : पणजी में अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के कार्यक्रम में प्रकाश झा ने कहा कि, सिनेमा के रूप में साहित्य, संस्कृति की चिंता होती थी। लेकिन यहां अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है, उन्होने आगे कहा, आप हालात में बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकते। इसके पीछे ऐतिहासिक, पौराणिक और वास्तविक कारण हैं। मुझे लगता है कि भारतीय समाज हमेशा से सत्ता या सरकार से ज्यादा मजबूत और मुखर रहा है।

फिल्म डाइरेक्टर प्रकाश झा अपनी राजनीति और खास मुद्दों पर बनी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। प्रकाश झा का मानना है भारत में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है। इसलिए अब इस मुल्क में पूरी तरह से राजनीतिक फिल्म बनाना मुमकिन नहीं है। एक भारतीय के तौर पर हम तार्किक हैं। सवाल करते हैं। आज आप कोशिश करते हैं और किसी का नाम लेते हैं, जो किसी समुदाय विशेष से संबंध रखता है, तो वह लोग आपकी हत्या कर देंगे।

प्रकाश आगे कहते हैं कि, मैं हमेशा इसे झेलता हूं। पहले जब मेरी फिल्में रिलीज होती थीं, तो उसमें इस तरह का समाज, राजनीतिक पार्टियां और अज्ञात लोगों का नाम होता था। गंगाजल, जय गंगाजल, सत्याग्रह, आरक्षण, राजनीति, चक्रव्यूह, अपहरण आदि ऐसी फिल्में हैं जिसमें प्रकाश झा ने समाज में चल रहे राजनीति को आइना दिखाने की कोशिश की है।