पि. चिदंबरम पूर्व केंद्रीय ग्रह मंत्री ने अभी हाल में हुए नगरोटा हमले की तुलना 2008 के मुम्बई आतंकी हमले से करते हुए कहा की यह हमला मुंबई हमले जितना ही शर्मनाक है. आगे उन्होंने कहा की लक्षित हमलों से सीमापार से ज़ारी आतंकवाद खत्म नहीं होगा.
पूर्व राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की पुस्तक ‘चॉइसेस: इनसाइड डी मेकिंग ऑफ़ इंडियाज़ फॉरेन पालिसी’ के विमोचन पर चिदम्बरम ने आगे कहा की ग्रह मंत्रालय स्तर पर अगर देखा जाए तो वहां एकता नहीं है.
चिदंबरम ने शुक्रवार रात को कहा की,नगरोटा में जो हुआ वह उतना ही शर्मनाक है जो मुंबई में हुआ था। हम सीमापार नियंत्रण रेखा की कार्रवाई से पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों को भारतीय प्रतिष्ठानों और शिविरों पर हमला करने से रोक नहीं पाएंगे।
उन्होंने कहा,लक्षित हमले से सीमा पर संतुलन बिगड़ता है.इससे पाकिस्तान को संदेश जाता है कि अगर तुम ऐसा कर सकते हो तो हम भी ऐसा कर सकते हैं। लेकिन अगर किसी को ऐसा लगता है कि लक्षित हमले से सीमापार से की जाने वाली कार्रवाई पर रोक लग जाएगी तो नगरोटा में जो हुआ उससे यह बात गलत साबित हुई।
चिदंबरम ने दावा किया कि गृह मंत्रालय के स्तर पर कोई सामंजस्य नहीं है एकता नहीं दिखाई पड़ती और इसकी वजह से एक अच्छा चलन बंद हो गया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि गृह मंत्री, गृह सचिव, डीआईबी, रॉ के निदेशक और एनएसए का हर दिन बैठक करना एक अच्छा चलन था। यह प्रक्रिया अब बंद कर दी गयी। इसलिए गृह मंत्रालय के स्तर पर अब कोई सामंजस्य, कोई एकीकृत कमान नहीं है।
पूर्व गृह मंत्री ने आगे कहा कि भारत के पास एक हल पाकिस्तान से संपर्क करना है और मौजूदा सरकार ने एक कदम पर शुरुआत की और अब दूसरे कदम पर पहुंच गई है।