नगालैंड के दीमापुर में रेप का शिकार हुई मुतास्सिरा का दावा है कि जिस मुल्ज़िम को भीड ने जेल से निकाल कर मार दिया था उसने रेप के बाद खामोश रहने के लिए पांच हजार रूपए दिए थे और जान से मारने की धमकी दी थी। वहीं, रेपिस्ट के कत्ल के दो दिन बाद इस मामले में नया मोड आ गया है।
इम्कान जताया जा रहा है कि सेंट्रल जेल में भीड को घुसने देने में पुलिस का भी हाथ था। इस मामले में अदालती जांच के हुक्म दे दिए गए हैं, जिसे रिटायर्ड सेशन जज हेड करेंगे। मुतास्सिरा ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि मुल्ज़िम उसका पडोसी था। रेप के बाद उसने वाकिया का जिक्र किसी से नहीं करने को कहा था। मुंह बंद रखने के लिए पांच हजार रूपए दिए थे और जान से मारने की धमकी दी थी।
मुतास्सिरा ने बताया कि उसने वह पांच हजार रूपए मुल्ज़िम से लिए थे और बाद में पैसे को पुलिस स्टेशन में जमा करा दिया था। कहा जा रहा है कि पुलिस की लापरवाही की वजह से ही भीड जेल तक पहुंचने में कामयाब रही। इधर, पुलिस ने हमला करने वाली भीड में शामिल 14 लोगों को गिरफ्तार किया है।
ज़राये से मिली खबर के मुताबिक गिरफ्तार हुए मुल्ज़िमों से पूछताछ की बुनियाद पर पुलिस और कुछ लोगों को गिरफ्तारी कर सकती है। भीड के हाथों मौत का शिकार बने मुल्ज़िम के खानदान ने कहा है कि मेडिकल रिर्पोट से साफ हो जाता है कि लडकी का रेप नहीं हुआ था।
फौत हुए शख्स के भाई सैयद उद्दीन खान ने कहा कि नगालैंड में जंगल राज है और मुबय्यना तौर पर रेप की शिकार लडकी फौतशुदा शख्स यानी मुल्ज़िम की बीवी की रिश्तेदार है।
फौत हुए मुल्ज़िम के भाई ने यह भी कहा है कि हमारे खानदान के कई लोग फौज में हैं फिर ये इल्ज़ाम कैसे लगाया जा सकता है कि हम लोग बांग्लादेशी हैं। दूसरी ओर, भीड की तरफ से रेप के मुल्ज़िम को जेल से बाहर निकालकर मार डालने के वाकिया में पुलिस के किरदार पर सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं। ज़राये के मुताबिक इस मामले में पुलिस का किरदार शक के घेरे में हैं।