नई दिल्ली । 9 अप्रैल (पी टी आई) सुप्रीम कोर्ट ने आज मर्कज़ से जवाबतलब करते हुए एक नोटिस जारी करदी। ये नोटिस एक दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा की बिना पर जारी की गई है जो सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल करते हुए सियासतदानों, समाजी-ओ-मज़हबी तंज़ीमों के रहनुमा की नफ़रतअंगेज़ तक़रीरों पर तहदीदात आइद करने केलिए रहनुमा या ना ख़ुतूत का ताय्युन करने की ख़ाहिश की गई है।
चीफ़ जस्टिस आफ़ इंडिया अल्तमिश कबीर की ज़ेर-ए-क़ियादत सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने महाराष्ट्रा और आंध्र प्रदेश की रियास्ती हुकूमतों को भी नोटिसें जारी करदें जहां हालिया अर्से में मुबय्यना नफ़रतअंगेज़ तक़रीरों के वाक़ियात पेश आए हैं। दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा ऐसी तक़रीरों के ख़िलाफ़ दाख़िल की गई है, जिन में मज़हब, इलाक़ा, ज़ात पात या मुक़ामी पैदाइश को तन्क़ीद का निशाना बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मसले पर इलैक्शन कमीशन से भी जवाबतलब किया है। दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा एक ग़ैर सरकारी तंज़ीम प्रवासी भलाई संघटन की जानिब से दाख़िल की गई है। दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा में कहा गया है की इस बात की ज़रूरत है कि नफ़रतअंगेज़ तक़रीरों कैवल्य रहनुमा या ना ख़ुतूत जारी किए जाते हैं क्योंकि ऐसी तक़रीरों से जमहूरीयत का ताना बाना तबाह होजाता है और दस्तूर की दफ़आत की ख़िलाफ़वरज़ी होती है।
दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा में बहैसीयत मुद्दई अलैहि रियासत महाराष्ट्रा और रियासत आंध्र प्रदेश को नामज़द कियागया है क्योंकि इन दोनों रियास्तों में मुबय्यना तौर पर नफ़रतअंगेज़ तक़रीरों से वाक़ियात पेश आए हैं। दरख़ास्त हवाला दिया गया है कि महाराष्ट्रा नव निर्माण सेना (कट उन ऐस) के सरबराह राज ठाकरे ने नफ़रतअंगेज़ तक़रीरें की हैं और दावा किया गया है की रियासत में इस बारे में कोई एफ़ आई आर दर्ज नहीं की गई है।
दरख़ास्त मफ़ाद-ए-आम्मा में ये भी कहा गया है की रियासत आंध्र प्रदेश में कल हिंद मजलिस इत्तिहाद अलमुस्लिमीन के क़ाइद अकबरुद्दीन उवैसी ने मुबय्यना तौर पर नफ़रतअंगेज़ तक़रीरें की हैं, जिन की वजह से उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया था लेकिन ज़मानत पर रिहाई के बाद उन्होंने दुबारा रियासत महाराष्ट्रा के शहर नांदेड़ में ऐसी की तक़रीरें की हैं।