जमात-ए-इस्लामी हिंद मुहल्ला मुकर्रमपूरा इलाके जाफरी-ओ-मुकर्रमपूरा ज़िला करीमनगर की तरफ से एक अज़ीम उल-शान जलसा सीरत उन्नबी(स०) 27 जनवरी बरोज़ पिर बाद नमाज़ इशा बमुक़ाम गुलशन इक़बाल काम्प्लेक्स में मुनाक़िद हुआ।
जिस की सदारत मुहम्मद अबदुलफ़ताह लतीफी नाज़िम ज़ोन मुहल्ला मुकर्रमपूरा ने की और मेहमान मुक़र्रर मुहम्मद अबदुर्रक़ीब हामिद लतीफी नाज़िम इलाके वसती तेलंगाना थे।
प्रोग्राम का आग़ाज़ बिरादर मुहम्मद अब्दुह लकवे मैंबर एस आई ओ की तिलावत कलाम पाक-ओ-तर्जुमानी से हुआ। इफ़्तेताही कलिमात मुहम्मद ज़ाकिर उसमानी नाज़िम इलाक़ा जाफरी-ओ-मुकर्रम ने पेश किया।
उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल(स०) की मुहब्बत और इताअत में हमारी कामयाबी है। ये सीरत का जलसा महिज़ अल्लाह की रज़ा के लिए रखा गया है।
नबी(स०) की सीरत हम सब के लिए मालूम करना लाज़िमी है और अल्लाह के रसूल(स०) की सीरत से वाबस्ता होने के लिए हम सब को क़ुरआन से ताल्लुक़ रखना ज़रूरी है।
इस के बाद मुहम्मद अबदुर्रक़ीब हामिद लतीफी ने कहा कि इस उम्मत का उरूज-ओ-ज़वाल क़ुरआन-ओ-संत को इख़तियार करने और ना करने में है।
इस उम्मत के अक्सर मुक़र्रिरीन जो मक़सद बताना है इसे बताने से गुरेज़ कर रहे हैं। आप (स०) की पूरी ज़िंदगी हमागीर दावत थी। हर दावत का पहलू होता चाहे इबादत-ओ-इयादत हो मेहमान नवाज़ी होया कोई और शोबा बगैर दावत के सीरत को नहीं बयां किया जा सकता।
सीरत एक एसा समुंद्र है जिस का कोई किनारा नहीं और आप (स०) की सारी ज़िंदगी दावत के पहलू से मर्कूज़ थी और आप(स०) ने अपने 23 साल में एक इन्क़िलाब रोनुमा क्या।
इस के बाद सदारती तक़रीर मुहम्मद अबदालफ़ताह लतीफी नाज़िम ज़ोन मुहल्ला मुकर्रमपूरा ने कहा कि हमें अल्लाह ने ये जलसा मुनाक़िद करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाएं है।