सिर्फ 22 साल की उम्र में गुजरात सरकार की नींद उड़ा देने वाले हार्दिक पटेल को दो महीने पहले तक कोई नहीं जानता था, लेकिन आज मुल्क की गली गली और सोशल मीडिया पर उनकी ख़ासी चर्चा है।
गुजरात के अहमदाबाद में मंगल के रोज़ पाटीदार समाज की महारैली में लाखों की तादाद में लोग पहुंचे। पाटीदार लीडर हार्दिक पटेल की कियादत में मुनाकिद इस महारैली में लाखों पाटीदार समाज के लोग जमा हुए हैं। यह समाज रियासती हुकूमत से 27 फीसद रिजर्वेशन की मांग कर रहा है।
हार्दिक पटेल गुजरात के कड़ी तालुका के भाजपा कारकुन भरतभाई पटेल के बेटे हैं। उन्होंने तीन साल पहले अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज से डीग्री किया है।
गुजरात में आबादी का पांचवां हिस्सा पटेल तब्के का है। पटेल तब्का रिजर्वेशन और ओबीसी दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले कई सालों से तहरीक कर रहा है।
इस तहरीक की कमान अब नई नस्ल के हार्दिक पटेल की हाथों में है। कॉमर्स स्टूडेंट हार्दिक पटेल ठान चुके हैं कि वे गुजरात में ओबीसी का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे।
इसके बाद उन्होंने गुजरात में तहरीक छेड़ दिया। उनकी अगुआई में पिछले 40 दिनों से गुजरात में तहरीक और एहतिजाजी मुज़ाहिरा चल रहा है। हार्दिक पटेल के कंधे से कंधा मिलाते हुए इस जद्दो ज़हद में 10 लाख से भी ज़्यादा लोग सड़कों पर उतर चुके हैं।
उनके तेवर और मक़सद के आगे पीएम नरेंद्र मोदी भी दबाव में दिखाई दे रहे हैं। इस तहरीक ने मोदी के डेवलपमेंट मॉडल की हवा निकाल दी है। हार्दिक पटेल की अगुआई में चल रही ये तहरीक वही तहरीक है जिसके आगे आज से 30 साल पहले गुजरात की उस वक्त की हुकूमत को घुटने टेकने पड़े थे।
फरवरी 1985 के विधानसभा इंतेखाबात में 148 सीटों के अक्सरियत के बावजूद पटेल तब्का का सड़क पर उतर आने के सबब सीएम माधव सिंह सोलंकी को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।