हैदराबाद 13 अगस्त तेलंगाना में पिछ्ले दो दिन से घने बादल और कहीं कहीं हल्की बारिश से अगरचे रवां मानसून के आख़िरी मरहले में बारिश की चंद उम्मीदें पैदा हो गई हैं जिसके बावजूद इस रियासत पर मआशी एतेबार से कुछ मुख़्तलिफ़ किस्म के बादल मंडला रहे हैं जिससे ख़ुशकसाली के तूफ़ान का अंदेशा है क्युंकि खम्मम और वर्ंगल के सिवा दुसरे तमाम आठ अज़ला में मामूल से बहुत कम बारिश हुई है।
नतीजतन कहतसाली के अंदेशों में इज़ाफ़ा हो गया है। रवां साल 01 जून ता 12 अगसट तेलंगाना के आठ अज़ला में मामूल से बहुत कम बारिश हुई है ताहम सिर्फ दो अज़ला खम्मम और वर्ंगल में अच्छी बारिश रिकार्ड की गई।
मानसून के दौरान इस मुद्दत में औसत 461.3 मिलीमीटर बारिश हुआ करती है लेकिन ताहाल 358.4 बारिश हुई है। इस तरह 22फ़ीसद कम बारिश रिकार्ड की गई है। इन आदाद के बावजूद हनूज़ ये कहना क़बल अज़ वक़्त होगा के मानसून 2015 मुकम्मिल तौर पर नाकाम हो गया है।
माहिरीन मआशियात ने कहा हैके नाकाफ़ी बारिश परेशानकुन है और सूरत-ए-हाल तशवीशनाक है जिससे ग़िज़ाई इश्याय की क़ीमतों में इज़ाफ़ा भी हो सकता है। लेकिन अवाख़िर मानसून में अच्छी बारिश क़ीमतों पर कंट्रोल में फायदामंद साबित हो सकती है।
बारिश की सूरत-ए-हाल ग़ैर यक़ीनी है जिससे ग़िज़ाई इफ़रात-ए-ज़र में इज़ाफे के अंदेशे हैं।अगर नाकाफ़ी बारिश बरक़रार रहती है तो इस से कुछ नुक़्सान भी पहूंच सकता है जो दाल, तिलहन के अलावा जवार, रागी और बाजरा जैसे अजनास की क़ीमतों में इज़ाफे की शक्ल में नज़र आएगा। अगर अच्छी बारिश होजाती है तो इस मसले से निमटने में कुछ हद तक मदद हो सकती है।