मुसलसल दूसरे साल यूनानी तिब्ब में पी जी करने के ख़ाहिश मंदों को मायूसी का सामना है । सैंटर्ल कौंसल आफ़ इंडियन मेडीसिन इस साल गर्वनमैंट निज़ामीया तिब्बी कॉलेज में पोस्ट ग्रैजूएट ( एम डी ) कोर्स की इजाज़त देने का इमकान नहीं है क्यों कि कहा गया है कि कॉलेज में तदरीस की दरकार सहूलतें दस्तयाब नहीं हैं । बताया गया है कि कॉलेज में अंडर ग्रैजूएट और पोस्ट ग्रैजूएट सतह पर प्रोफेसर्स की बहुत कमी है ।
इस वक़्त यू जी सतह पर सिर्फ एक प्रोफेसर नौ अस्सिटैंट प्रोफेसर्स और आठ लेक्चरर्स हैं और पी जी सतह पर दो प्रोफेसर्स जनरल मेडीसिन , इलम उल अदविआ , इलम बकालत , तहफ़ज़ी समाजी तिब्ब और कुल्लियात यूनानी तिब्ब के लिये हैं । फैकल्टी स्टाफ़ के लिए कॉलेज 14 शोबा जात क़ायम करने से क़ासिर रहा जिस की हिदायत महिकमा एवश ने 2008 में दी थी ।
सैंटर्ल कौंसल ने 2011-12 में पी जी कोर्स मंसूख़ किया और बी यू एम इस में सीट्स की तादाद 75 से घटा कर 60 करदी गई । आंधरा प्रदेश में निज़ामीया तिब्बी कॉलेज वाहिद इदारा है जहां पी जी कोर्स की सहूलत थी । मौजूदा गैर यक़ीनी सूरत-ए-हाल में बेशतर तलबा बैंगलौर , दिल्ली या अलीगढ़ में एम डी कोर्स करने का इरादा रखते हैं.
इस दौरान निज़ामीया तिब्बी कॉलेज के प्रिंसिपल सय्यद आरिफ़ उद्दीन ने एतिमाद ज़ाहिर किया कि इस साल एम डी कोर्स और बी यू एम एस होंगे । मौजूदा तदरीसी स्टाफ़ को ज़ाइद चार्ज देते हुए मख़लुवआ जायदादों के मसला से निमट लिया जाएगा।