पटना 4 जुलाई : बिहार इन दिनों बीमार हो गया है। गुड गोवेर्नेस की तस्वीर पर अफरा तफरी भारी पड़ रही है। लोग पूछ रहे हैं कि बिहार को क्या हो गया? भाजपा बीमारी को दिखाकर बता रही है कि नीतीश कुमार के पास अब इसका इलाज नहीं है। खुद को वह एक्सपर्ट डॉक्टर बताने में पीछे नहीं है। लेकिन सियासी से बाहर हाल की कुछ वारदातों ने लोगों को शिकस्त कर दिया है कि क्या बिहार पुराने दिनों की जानिब जा रहा है?
रेप, चोरी और कॉग्निजेबल क्राइम में लालू राज पीछे छूटा
बिहार हुकूमत के अदाद शुमार बताते हैं कि क्राइम से जुड़े कई मामलों में नीतीश हुकूमत साबिक़ लालू-राबड़ी हुकूमत से आगे निकल गयी है। कॉग्निजेबल क्राइम जहां साल 2001 में राबड़ी देवी के राज में 95 हजार 942 थे वह 2012 के नीतीश राज में बढ़ कर एक लाख 47 हजार 768 पर पहुंच गया। राबड़ी राज में उस साल मर्डर की 3619 वारदाते हुई थीं तो अब एनडीए की हुकूमत में 3337। राबड़ी देवी की हुकूमत में 2001 के दौरान रेप की 746 वारदात हुई थीं जो एनडीए के हुकूमत में बढ़कर 872 हो गयी।
2001 में राबड़ी देवी के राज में चोरी की जहां 9 हजार 489 वारदात हुई तो नीतीश-सुशील के राज में बढ़कर 15 हजार 921 हो गयी। सेंधमारी की वारदात में भी इजाफा दर्ज किया गया है। 2001 में इस तरह की 3036 वारदात हुई थीं जो अब बढ़कर 3436 हो गयी। राबड़ी देवी के हुकूमत में उस मुद्दत के दौरान मुख्तलिफ गुटीय तश्दुद की 8520 वारदात घटी थी तो 2012 में 10197 हो गयी।
आम ख्याल है कि लालू-राबड़ी राज में अगवा की वारदात में बेतहाशा अजाफा हो गयी थी। लेकिन अदाद शुमार कुछ दूसरी ही तस्वीर बताते हैं। 2001 में अगवा की 1689 वारदात हुई तो 2012 में 4411 हो गयीं।
जो जुर्म कम हुए
पुलिस महकमा के अदाद व शुमार के मुताबिक लालू-राबड़ी राज की मुकाबले में कुछ क्राइम कम दर्ज हो रहे हैं। मर्डर के अलावा डकैती में काफी गिरावट हुई है। 2001 में राबड़ी देवी के मुद्दत के दौरान जहां डकैती की 1293 वारदात घटीं, वहीं 2012 के नीतीश राज में यह अदाद व शुमार 484 पर आ गया। 2001 में छिनतई की 2175 वारदात दर्ज की गयी थी तो 2012 में यह अदाद व शुमार 1168 पर रहा। फिरौती के लिए अगवा के मामले में लालू-राबड़ी राज काफी बदनाम रहा था। 2001 में 385 ऐसी वारदात हुई थीं। 2012 में फिरौती के लिए अगवा की 65 वारदात दर्ज की गयीं। रोड डकैती के 2001 में 257 वारदात हुए थे जो 2012 में 170 हुए। रोड रॉबरी की 2001 में 1296 वारदात हुई थी जो 2012 में 1003 दर्ज हुईं। 2001 में बैंक डकैती की मुकाबले में 2012 में 5 वारदात हुईं। 2001 में बैंक रॉबरी की 18 मामले हुए थे और 2012 में 6 मामले ।