पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में सरगर्मी चरम पर है। ऐसा सीएम नीतीश कुमार के लगातार बदलते बयानों की वजह से है। यही कारण है कि हर बात के अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं। इसलिए सोमवार को नीतीश कुमार ने जब फोनकर लालू जी का हाल जाना तो उसके भी अलग अर्थ निकाले गए।
पटना में उनके कॉल को जेडीयू और भाजपा गठबंधन टूटने के कयास लगाए जाने लगे। वहीं सीएम के फोन के बाद लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए लिखा, चचा आपको चार महीने बाद लालू जी की आई याद।
आपने ऐसा करने में देर कर दी। लेकिन राजनीतिक गोशिप के बीच अहम सवाल यह है कि जिस तरह से सीएम अनिर्णय की स्थिति में उसका उन्हें भविष्य में नुकसान हो सकता है।
या फिर इन सबके बावजूद वो गठबंधन को बचा ले जाएंगे। इस सवाल की अहमियत इस बात को लेकर भी है कि उन्होंने मोदी सरकार पर देश की राजनीतिक फिजां खराब करने का आरोप लगाया था।
आपको बता दें कि बिहार में जेडीयू और भाजपा गठबंधन सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। खासतौर से लोकसभा सीटों के बंटवारों को लेकर तालमेल बिगड़ गया है। बिहार में बड़ा भाई कौन इस बात को लेकर दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।
हालांकि भाजपा ने बिहार में नीतीश को बड़ा भाई मान लिया है लेकिन मोदी सरकार की मजबूरी ये है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 40 में से 22 सीटों पर जीत मिली थी।
अगर भाजपा केवल 22 सीटों पर ही चुनाव लड़ भी ले तो भी दोनों की तकरार खत्म होने के आसार नहीं है। ऐसा इसलिए कि शेष 18 सीटों पर जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को आपस में तालमेल बैठाने होंगे। 22 सीटों पर चुनाव न लड़ने की स्थिति में भाजपा का गणित पूरी तरह से बिगड़ जाएगा।
यहां तक टिकट कटने वाले सांसद पार्टी के खिलाफ आवाज भी बुलंद कर सकते हैं। इसलिए गठबंधन के समक्ष सबसे बड़ी समस्या सीटों के तालमेल को लेकर है1