नीलोफर अस्पताल में प्रसव के बाद 5 महिलाओं की मौत

हैदराबाद। शहर के नामी नीलोफर अस्पताल में पिछले एक सप्ताह में 5 गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन सर्जरी के पश्चात मृत्यु हो गई है। इस घटना के पश्चात इस अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन सर्जरी पर रोक लगा दी गई है। कुछ मामलों में अधिक रक्तस्राव के कारण मौत हुई है। यह मौतें ऐसी वर्ष 28 जनवरी से 4 फ़रवरी के बीच हुई हैं जिसके चलते अस्पताल की ओर से ऐसी सर्जरी पर रोक लगा दी गई है। इस तरह की सर्जरी से हुई मौतों के पश्चात मृतकों के परिजनों और गर्भवती महिलाओं में खौफ का माहौल उत्पन्न हो गया था।

21 वर्षीय नुसरत बेगम उन बदनसीब महिलाओं में एक है जिसका नीलोफर अस्पताल में प्रसव के बाद निधन हुआ है। दुर्भाग्य से उसकी पहली डिलीवरी के दौरान हुए बेटे की मौत हो गई थी जबकि दूसरे प्रसव के बाद नवजात बच्चे को अनाथ छोड़ वह दुनिया से चल बसी। नुसरत पिछले कुछ दिनों से अपने पति के साथ नहीं रहकर माता-पिता के घर पर रह रही थी, अब नवजात शिशु की परवरिश की जिम्मेदारी दादी पर है।

उसके रिश्तेदारों के अनुसार नुसरत को 31 जनवरी को अस्पताल में लाया गया और 1 फरवरी को उसने एक लड़के को जन्म दिया और अगले दिन ही उसकी मृत्यु हो गई। उसकी माँ यूसुफ बी का कहना है कि नीलोफर की सर्जरी के बाद काफी खून बहा था। उसको खून की 16 बोतल चढाई गई। खून अधिक बहने पर इसको सही करने के लिए दूसरी सर्जरी करने के लिए उनसे कागजात पर हस्ताक्षर कराये गए।

सर्जरी करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि आपरेशन कामयाब हुआ है तथा अब नुसरत को आक्सीजन मास्क के साथ उस्मानिया जनरल अस्पताल ले जाओ। उस्मानिया जनरल अस्पताल पहुँचने के पांच मिनट बाद वहां के चिकित्सकों ने कहा कि नुसरत अब इस दुनिया में नहीं रही। नुसरत की बहन ने आरोप लगाया कि उस्मानिया जनरल अस्पताल के डॉक्टरों ने धमकाते हुए कहा कि यदि वो शव को बिना पोस्टमार्टम के लेकर गए तो उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया जायेगा जबकि परिवार के लोग ऐसा नहीं चाहते थे।

इस बीच, सोमवार को नुसरत के परिजनों ने सिजेरियन सर्जरी के विरोध में अस्पताल परिसर में प्रदर्शन किया तथा सभी ने न्याय की मांग की। इस मौके पर नुसरत की माँ यूसुफ बी तथा मृतका की बहन उपस्थित थीं। इस दौरान चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. एम रामानी अस्पताल पहुंचे तथा चिकित्सकों की तीन सदस्यीय टीम के गठन की घोषणा की जो इस मामले को देखेगी।