पटना 6 जुलाई : रियासत में नॉन बैंकिंग कंपनियों का कारोबार करनेवाली कंपनियों पर भी शिकंजा कसा जायेगा। खासकर वे कंपनियां, जो धोखाधड़ी करती है। अवाम को ज्यादा ब्याज का लालच देकर रेयात के मुख्तलिफ अज़ला में काम करनेवाली कंपनियों के खिलाफ हुकूमत की कार्रवाई तेज की जायेगी।
बिहार के जमाकर्ताओं के मुफ्दात का तहफ्फुज़ एक्ट 2002 को और ज्यादा मौसिर बनाया जायेगा। इस कवानीन में तरमीम के लिए जरुरी कार्रवाई की हिदायत सीएम ने दिये हैं। बैठक के बाद माली सेक्रेटरी रामेश्वर सिंह ने बताया कि सरमायाकारों से धोखाधड़ी करनेवाली नॉन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हुकूमत जल्द ही और भी फैसला लेगी। वजीर ए आला अगले हफ्ता नॉन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जायजा करेंगे। इसमें एक्तेसादी जुर्म कोषांग, रिजर्व बैंक के अफसर और इससे जुड़े दीगर महकमा को भी शामिल किया जायेगा।
क्या है नियम
बिहार जमाकर्ता टहफुज़ एक्ट 2002 में यह कानून है कि कोई नन बैंकिंग कंपनी या चिट फंड कंपनी अवाम से गलत ढंग से और ऊंचे ब्याज का लालच देकर पैसा जमा कर रही है और उसे लौटाने में वह काबिल नहीं है तो अदालत के हुक्म पर हुकूमत उसकी जायदाद जब्त कर सकती है। जायदाद जब्त करने का हक समाहर्ता में मुजस्म रहेगा।
गलत ढंग से जमा लेने वाली कंपनी या सख्स को 10 साल तक की सजा या एक लाख रुपये या उससे ज्यादा का जुर्माना किया जा सकता है। रकम जमा करने वाले कंपनियों और सख्सों के खिलाफ दर्ज मुक़द्मात की समाअत और उसके अमलदार आमद के लिए हाइ कोर्ट की मंजूरी से खुसूसी अदालत न्यायालय तशकील किया जायेगा। अदालत के लिए अलग से खुसूसी लोक प्रोसेक्यूटर और दीगर वकील की तक़र्रुरी की जायेगी