नोटबंदी के बाद बैंकों में कालाधन जमा कराने वालों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई शायद ही हो क्योंकि आयकर विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है। यही नहीं, विभाग में तैनात कर्मचारी और अधिकारी पहले से काम के बोझ तले दबे हैं। ऐसे में वे नई सूचना पर कितना ध्यान दे पायेंगे, इसका जवाब ठीक-ठीक नहीं मिल पा रहा है।
आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि नोटबंदी के बाद पुराने नोटों के रूप में सरकार द्वारा तय की गई सीमा से अधिक धनराशि बैंकों में जमा करने वालों की जानकारी मिलने लगी है। लेकिन दिक्कत यह है कि उस पर होमवर्क कर संबंधित व्यक्ति के परिसर में सर्वे करने के लिए पर्याप्त संख्या में टीम ही नहीं है। जो कुछ टीम उपलब्ध है, उसके सहारे बड़ी मछलियों के यहां पहले सर्वे किया जा रहा है।
शेष सूचनाओं को संभाल कर रखा जा रहा है कि उस पर बाद में कार्रवाई होगी। अखिल भारतीय आयकर कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अशोक कनौजिया का कहना है कि उनके महकमे में मुखिया से लेकर निचले स्तर तक कर्मचारियों की संख्या देखी जाए तो करीब 76,000 पद स्वीकृत हैं। लेकिन अभी करीब 55,000 अधिकारी और कर्मचारी ही कार्यरत हैं। ऐसे में काम तो प्रभावित होगा ही। उनका कहना है कि कालाधन जमा करने वालों को पकड़ने की जिम्मेदारी जिस आयकर विभाग पर है, वो पहले से ही काम के बोझ से परेशान है। अभी आलम ये है कि विभाग के पास जितनी जानकारी आती है, उनमें से बमुश्किल एक या दो फीसदी मामलों की ही छानबीन हो पाती है। इनमें भी सभी मामलों को अंतिम नतीजे तक पहुंचाना मुश्किल होता है।