नोटबंदी से बेरोजगारी बढ़ने की यह खबर ऐसे समय में आई है जब भारत को रोजगार बढ़ाने की सख्त जरूरत है. द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा बाद से अब तक नोएडा में कपड़ा बनाने वाली इकाइयों में काम करने वाले लगभग 40 फीसदी अस्थायी कामगार बेरोजगार हो चुके हैं. गौतम बुद्ध नगर जिले के श्रम विभाग और श्रमिक संगठनों ने इसकी पुष्टि की है.
रिपोर्ट के मुताबिक हिंद मजदूर सभा के सचिव रीतेश कुमार झा का कहना है कि बीते दो दिनों में ही नोएडा के सेक्टर-4 और सेक्टर-5 में कपड़ा बनाने की दो फैक्ट्रियां बंद हुई हैं. इसने रातों रात 300 से ज्यादा श्रमिकों को बेरोजगार बना दिया है. गौतम बुद्ध नगर के उप श्रम आयुक्त बीके राय ने भी ठेके पर काम करने वाले 40 फीसदी कर्मचारियों के बेरोजगार होने के झा के दावे को सही बताया है.
उनके मुताबिक समस्या यह है कि बैंक खाते न होने की वजह से ऐसे कामगारों को नकदी में ही भुगतान करना पड़ता है जिसकी इस समय खासी किल्लत है. उनकी मानें तो कंपनी मालिक भी इस डर से उनके खाते नहीं खुलवाते कि कहीं वे पक्की नौकरी न मांगने लगें.
नोएडा में कपड़ा निर्माण और निर्यात से जुड़ी 1800 से ज्यादा इकाइयां हैं. यहां काम करने वाले कामगारों को रोज के काम के हिसाब से पैसा मिलता है. इनमें ज्यादातर लोग बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से आते हैं. नोएडा के श्रम विभाग के अनुसार नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत के चलते ज्यादातर श्रमिक अपने-अपने राज्य जा चुके हैं.