गुरुवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नोटबंदी के ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ तीखे सवाल किये। राजद प्रमुख ने नोटबंदी की घोषणा को तुगलकी फरमान कहते हुए इसे लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध बताया।
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि एक पखवाड़े पूर्व अचानक देशवासियों को यह फ़रमान सुनाया गया कि चार घण्टे बाद देश की 86% मुद्रा सिर्फ़ कागज़ का टुकडा रह जायेगी। यह तुग़लकी फ़रमान था, कहावत के रूप में भी, भावात्मक रूप में भी और वास्तविक रूप में भी। आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के, आप ही के शब्दों में, प्रधान ‘सेवक’ हैं। आपने कैसे इतना बड़ा कदम बिना सोचे विचारे देश की जनता पर थोप दिया?
श्री यादव ने आगे कहा कि हम काले धन के सख़्त विरोधी हैं। पर इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते। जिनके पास सचमुच काला धन है, उनको दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा, सकुचा रहा है? जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना आव-ताव देखे, आवेश में आकर, मुखपृष्ठों पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है? मोदी जी आपसे कुछ सवाल है, जनता जबाब चाहती है।
- आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है। उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने के कगार पर है। किसानों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है? देश का किसान निर्धन सही, किन्तु निर्बल नहीं है। देश का किसान मोदी को माफ़ नहीं करेगा।
- देश के भूखे, निर्धन, वंचित को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है? तुमने जो हंगामा खड़ा किया है, उसके शोर शराबे में करोडों लोगों के भूख और पीड़ा से कराहने की आवाज दब रही है, पर समझ लो हमेशा नहीं दबेगी।
- प्रधानमंत्री बताये कि नोटबन्दी के बाद ऍफ़डीआई का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चूका है? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक सन्देश पूरे विश्व में गया है, उससे उबर पाने में कितने प्रगतिशील सालों की बलि चढ़ेगी?
- प्रधानमंत्री बताये कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का ज़िम्मेवार कौन है?
- प्रधानमंत्री बताये कि इस कदम से जीडीपी ग्रोथ रेट जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे? विकास दर में गिरावट की ज़िम्मेवारी प्रधानमंत्री लेगा या बलि का बकरा ढूँढा जाएगा?
- नोटबन्दी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं। इनकी हत्या का दोषी कौन है? प्रधानमंत्री बताये कि पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा दिया जायेगा कि नहीं?
- प्रधानमंत्री बताए कि छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्ज़ाना कौन भरेगा?
- प्रधानमंत्री के इस निर्णय में क्या कैबिनेट की सहमति थी? अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे। क्योंकि जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं?
- क्या आरएसएस को लोगों की पीड़ा का आनंद आ रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबन्दी का स्वांग रचा गया? मोहन भागवत चुप क्यों है?
- मोदी बताये कि अबतक देश को कितने कार्य घंटों और प्रोडक्शन का नुकसान हुआ है? उसकी भरपाई कैसे होगी?
- प्रधानमंत्री सीमा निर्धारित करके बताएँ कि उनके वादानुसार लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये कब जमा होंगे?
- क्या प्रधानमंत्री पूरी तरह आश्वस्त है कि बचे हुए 35 दिन में वो सभी समस्याओं का निदान कर देंगे? नहीं तो बतायें कि कितने दिन और जनता को तड़पायेंगे?
इन सवालों के बाद लालू प्रसाद यादव ने कहा कि इस फैसले का आमजन के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ रहा है इसलिए प्रधानमंत्री के लिए यह ज़रूरी है कि वे इन सवालों का जवाब दें।