पटना धमाके में एनआइए को पहली बार कुछ ऐसे पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं, जिनकी बुनियाद पर वह इस दहशतगर्द हमले के मुजरिमों को अदालत से सजा दिला सकती है। दिल्ली से एनआइए की टीम ने पटना वाकेय अपने स्पेशल कोर्ट में दाखिल अपनी पहली चार्जशीट में ऐसे साइंसटिक सुबूत दिये हैं, जिनसे इस हमले में शामिल दहशतगर्दों को सजा दिलाने में सहूलियत होगी। चार्जशीट के मुताबिक, गांधी मैदान और पटना जंकशन अहाते में इस्तेमाल हुए धमाकों का मिलान रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार दहशतगर्द इम्तियाज अंसारी की बैग से मिले धमाके और रांची से बरामद धमाकों के नमूनों से हो चुका है।
एनआइए ज़राये के मुताबिक, पटना सीरियल धमाकों की साजिश दहशतगर्द तंजीम इंडियन मुजाहिदीन और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) ने मिल कर रची थी। एनआइए ने पटना जंकशन से गिरफ्तार दहशतगर्द इम्तियाज के बैग से मिले बम, गांधी मैदान और पटना जंकशन पर हुए धमाकों में इस्तेमाल बम और रांची के सिठियो में हुई छापेमारी में बरामद बमों से करा ली है। फोरेंसिक लैब में हुई जांच में साबित हो चुका है कि तीनों ही बम एक ही तरह के हैं।
वाकिया के 177 दिन बाद दाखिल चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि पटना में इस हमले का अहम निशाना नरेंद्र मोदी ही थे। लेकिन, जब उनके नजदीक पहुंचने का मौका इन दहशतगर्दों को नहीं मिला, तो उन्होंने गांधी मैदान में मौजूद लाखों की भीड़ में भगदड़ मचाने के लिए जगह-जगह धमाके करने शुरू कर दिये। इसमें कहा गया है कि इम्तियाज दरअसल सिमी का सरगर्म कारकुनान है। जब उस दहशतगर्द तहसीन अख्तर उर्फ मोनू की तसवीर दिखायी गयी, तो उसने मोनू की पहचान ‘मेमन’ के तौर में की। इम्तियाज ने यह भी बताया है कि आइएम सरगना मोनू और सिमी का अहम हैदर अली दोनों अच्छे दोस्त हैं। एनआइए ने इस चार्जशीट में यह भी कहा है कि इन धमाकों की साजिश में शामिल कुल आठ दहशतगर्दों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि चार फरार हैं। एक दहशतगर्द पटना जंकशन पर हुए धमाके का खुद शिकार हो चुका है। फरार दहसतगर्दों में सिमी चीफ़ हैदर अली, मुजिबुल्लाह, तारिक अंसारी और नोमान शामिल हैं।