27 अक्तूबर, 2013 को नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान पटना में सीरियल ब्लास्ट स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) ने कराये थे और इससे इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) का कोई सीधा ताल्लुक नहीं था। यह दावा आइएम के भारतीय अहम तहसीन अख्तर उर्फ मोनू ने पुलिस पूछताछ में किया है।
हालांकि, उसके दावे को तफ़सीश कारों को शक की नज़र से देख रहे हैं, क्योंकि सिमी ने साबिक़ में कोई दहशतगर्द हमला सीधे नहीं किया है। इधर, दिल्ली की एक अदालत ने बुध को पूछताछ के लिए तहसीन को दो अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। उसे मंगल की सुबह दाजिर्लिंग जिले में भारत-नेपाल सरहद से गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अफसर ने बताया, तहसीन ने कहा कि पटना में सीरियल बम धमाके सिमी का काम था। वह उनके राब्ते में था, लेकिन बम धमाकों में शामिल नहीं था। हालांकि, हम उससे सहमत नहीं हैं और हम तफ़सीश कर रहे हैं कि उसकी कितनी किरदार थी। पुलिस उसके दावे को इसलिए भी संजीदगी से नहीं ले रही कि वह आइएम और सिमी की छत्रछाया से उभरे दीगर दहशतगर्द तंज़ीमों के दरमियान एक अहम कड़ी था।
इम्तियाज निकला तुरुप का पत्ता
पटना जंकशन पर धमाके के दौरान पकड़ा गया इम्तियाज एनआइए और दीगर एजेंसियों के लिए तरुप का पत्ता निकला। उससे मिली जानकारी आइएम के आला दहशतगर्द तहसीन व वकास को पकड़ने में अहम साबित हुई और बोधगया धमाके की भी गुत्थी सुलझ सकी। इनके अलावा अरशद उर्फ नेयाज, अहमद हुसैन, फकरूद्दीन, अनिल पांडेय, मो राजू, उमर , ताबिश नियाज व अजहरूद्दीन को भी पकड़ा जा सका। अब सिर्फ हैदर व नोमान ही फरार हैं। दोनों के नेपाल में होने की इमकान है। 2005 में पहले पुलिस ने आइएम के एक दहशतगर्द को कदमकुआं थाने के लोहानीपुर से पकड़ा था। उसने पूछताछ में बताया था कि नेपाल में बैठे आइएसआइ एजेंट राणा के कहने पर वह पटना आया था।
और सारी जानकारी जुटाने की जिम्मेवारी दी गयी थी। इसके लिए उसे माहाना 50 हजार पर बहाल किया गया था। वह गुजरात के बॉर्डर तक घूमने आया था। उस वक़्त आइएम की बहस काफी कम थी।