कराची 19 जनवरी: पाकिस्तान के साबिक़ फ़ौजी हुकमरान जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी अदालत क्वेटा में 2006 के बलोच क़ौम परस्त क़ाइद नवाब अकबर ख़ान के क़त्ल मुक़द्दमा में बरी कर दिया। साबिक़ फ़ौजी हुकमरान कई आला सतही मुक़द्दमात में फंसे हुए हैं।
ये फ़ैसला उन के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ। मुशर्रफ़ ने 2005 के अवाख़िर में बलोचिस्तान में फ़ौजी कार्रवाई का हुक्म दिया था जब कि उन्हें एक राकेट हमले का निशाना बनाया गया था।
जब वो बलोचिस्तान के दौरे पर थे। फ़ैसले के एलान के बाद बुगती के बड़े फ़र्ज़ंद जमील बुगती के वकील सुहेल राजपूत ने कहा कि वो इस फ़ैसले से मुतमइन नहीं है और उसे आला तर अदालत में चैलेंज करेंगे।
अदालत ने जमील की दरख़ास्त भी नामंज़ूर कर दी जिसमें उन्होंने उनके वालिद की लाश को क़ब्र से बरामद करने की दरख़ास्त की थी ताकि इस बात की तौसीक़ हो सके कि ये लाश नवाब अकबर ख़ान बुगती की है या नहीं उन्हें डेरा बुगती के क़ब्रिस्तान में दफ़न किया गया था।
एक अलाहिदा दरख़ास्त में जमील ने अदालत से दरख़ास्त की थी कि पारलीमानी कमेटी के अरकान को तलब किया जाये जिन्हों ने मार्च 2005 में डेरा बुगती में तशद्दुद के बाद अकबर बुगती से मुलाक़ात की थी जिसमें कई अफ़राद हलाक किए गए थे।