पसमान्दगी के मेयार पर बिहार के आवाम की फतह

बिहार के लिए खुसूसी रियासत का दर्जा बहुत मायने रखता है। डॉ रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट में बिहार फिट बैठता है। रिपोर्ट की बुनियाद पर हम मानते हैं कि बिहार को खुसूसी रियासत जैसी सहूलत मिल जायेगी। यह और भी मुनासिब होता कि मेयार तय करने में फी सख्स आमदनी की बुनियाद माना जाता। लेकिन, कमेटी की राय फी सख्स इस्तेमाल की बुनियाद पर बनी है। मैंने अपनी तरफ से फी सख्स आमदनी को बुनियाद बनाये जाने का तर्क रखा था। हां, कमेटी के टर्म ऑफ रेफरेंस में खुसूसी रियासत का दर्जा का जिक्र नहीं है। लेकिन, रिपोर्ट की बुनियाद पर मेयार तय किया गया है। मेयार की बुनियाद पर नये सिरे से खुसूसी रियासत के दर्जा का पैमाना मुकर्रर होना है। बिहार मयार इंडेक्स के तमाम पैमाने पर बॉटम पर है।

बिहार पहले से ही कहता रहा कि पसमानदा की बुनियाद तय करने के लिए जो मौजूदा मेयार है, उसमें बदलाव की जरूरत है। वज़ीरे आला नीतीश कुमार ने इस सिलसिले में अपनी बातें कई बार मर्कज़ के मौकिफ रखीं।
17 मार्च, 2013 को दिल्ली में जो रैली हुई, वह अब तक की सबसे बड़ी सियासी रैली काही जा सकती है। इसके पहले भी वज़ीरे आजम के सामने सवा करोड़ लोगों के दस्तखत से मेमोरेंडम सौंपा गया।

जहां तक रघुराम राजन कमेटी की बात है, तो बिहार से मुतल्लिक़ हक़ीक़त रखे गये हैं। इसमें फी सख्स आमदनी, सेहत मेयार में बच्चे की मौत की शरह, ख्वान्दगी शरह खास कर खातून ख्वान्दगी, स्कूलों में मौजूदगी, तेंडुलकर कमेटी की बुनियाद पर गुरबत लकीर की ताईन, फी सख्स बिजली फराहम, पीने का पानी, सैनिटेशन, बैंकिंग मौजूदगी, टेलीफोन सहूलत और सड़क और रेल कनेक्टिविटी को भी बुनियाद मानने की सलाह दी है। इस बुनियाद पर बिहार दूसरे रियासतों से बहुत पीछे है।

कमेटी की रिपोर्ट की बुनियाद पर ही खुसूसी रियासत का दर्जा तय होना है। बिहार लैंड लॉक्ड रियासत है। कुछ सालों से अपने बलबूते रियासत तरक़्क़ी शरह में अव्वल आया है। आगे के तरक़्क़ी के लिए खुसूसी रियासत का दर्जा जरूरी है।