हज़रत अबू हुरैरा रज़ी० से रिवायत है कि (एक दिन) रसूल (स०अ०व०) ने फ़रमाया कि कौन शख़्स है जो मुझ से पाँच बातें सीखे और फिर उन पर अमल करे, या उस शख़्स को सिखाए जो उन पर अमल करने वाला हो। हज़रत अबू हुरैरा रज़ी० ने अर्ज़ किया, या रसूल अल्लाह! वो शख़्स में हूँ।
हज़रत अबूहुरैरा रज़ी० फ़रमाते हैं कि हुज़ूर स०अ०व० ने मेरा हाथ पकड़ा और फ़रमाया …………
(१) तुम इन चीज़ों से बचो, जिन को शरीयत ने हराम क़रार दिया है। अगर तुम उन से बचोगे तो तुम लोगों में सब से ज़्यादा इबादतगुज़ार बंदे होगे|
(२) तुम उस चीज़ पर राज़ी-ओ-शाकिर रहो, जिसको अल्लाह ताला ने तुम्हारी क़िस्मत में लिख दिया है। अगर तुम तक़दीर ए इलाही पर राज़ी-ओ-मुतमइन रहोगे तो तुम्हारा शुमार तवंगर तरीन लोगों में होगा (यानी जब बंदा अपने मक़सूम पर राज़ी-ओ-मुतमईन हो जाता है और तम्ह-ओ-हिर्स से पाक होकर ज़्यादा तलबी की एहतियाज नहीं रखता तो वो मुस्तग़नी और बेनियाज़ हो जाता है।
तवंगरी का असल मफ़हूम भी यही है)
(३) तुम अपने हमसाया से अच्छा सुलूक करो (अगरचे वो तुम्हारे साथ बुरा सुलूक करे) अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम कामिल मोमिन समझे जाओगे |
(४) जिस चीज़ को तुम अपने लिए पसंद करते हो, उसको दूसरे लोगों के लिए भी पसंद करो। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम कामिल मुसलमान समझे जाओगे |
(५) और तुम ज़्यादा हँसने से परहेज़ करो, क्योंकि ज़्यादा हंसना दिल को मुर्दा (और ख़ुदा की याद से ग़ाफ़िल) बना देता है (अगर तुम ज़्यादा हंसी से इजतिनाब ( रोकना) करोगे तो तुम्हारा दिल रुहानी बालीदगी, तरोताज़गी और नूर से भरा रहेगा और ज़िक्र अल्लाह के ज़रीया उसको ज़िंदगी-ओ-तमानीयत नसीब होगी)। (अहमद-ओ-तिरमिज़ी)