हक़ूक़-ए-इंसानी की आलमी तंज़ीम एमन्सिटी इंटरनैशनल (immensity international)ने कहा है कि अफ़्ग़ानिस्तान में हुकूमत और आलमी बिरादरी की ग़फ़लत के बाइस पाँच लाख के क़रीब अफ़्ग़ान बाशिंदे जंग की वजह से बेघर हैं और वो अपनी बक़ा की जद्द-ओ-जहद कर रहे हैं।
ये बात एमन्सिटी इंटरनैशनल ने जुमेरात को अपनी रिपोर्ट में कही। एमन्सिटी ने जंग से फ़रार, मुश्किलात का वार के उनवान से तीन साला तहक़ीक़ की बुनियाद पर इस रिपोर्ट में कहा है कि रोज़ाना मुल्क भर में तक़रीबन चार सौ अफ़राद आरिज़ी ठिकाने हासिल करते हैं। अफ़्ग़ान हुकूमत का अंदाज़ा है कि इस सर्दी में चालीस से ज़ाइद अफ़राद ठिठुर कर हलाक हो गए जो पंद्रह साल में शदीद तरीन सर्दी थी जिस में काबुल के कैम्पों में कम-अज़-कम अट्ठाईस बच्चे भी हलाक हुए।
एमन्सिटी की तहक़ीक़ कार हो रिया मुसद्दिक़ ने कहा कि हुकूमत ना सिर्फ दूसरी तरफ़ देखती रहती है बल्कि उनकी मुस्तक़िल आबाद कारी से गुरेज़ के लिए उनकी मदद तक को नहीं पहुंचती। उन्होंने कहा मुक़ामी अहलकार इमदादी सरगर्मीयां रोकते हैं क्योंकि वो ये ज़ाहिर करना चाहते हैं कि ये लोग कहीं और जा रहे हैं।
ये इंसानियत और इंसानी हुक़ूक़ का एक इंतिहाई होलनाक बोहरान है। रिपोर्ट में हुकूमत पर ज़ोर दिया है कि वो इंसानी बुनियादों पर इमदाद के लिए शराइत ( शर्त) ख़त्म करे और बैन-उल-अक़वामी इमदादी इदारों से कहा गया है कि वो इस अमर को यक़ीनी बनाए कि इंसानी बुनियादों पर दी जाने वाली इमदाद बेघर अफ़राद की ज़रूरीयात को पूरा करे।
रिपोर्ट के मुताबिक़ सिर्फ काबुल में शहर के गर्द तीस नवाही इलाक़ों में पैंतीस हज़ार बेघर अफ़राद मौजूद हैं। अक्सर इलाक़ों के इन रिहायशियों ने एमन्सिटी को बताया कि वो अपने घर इसलिए छोड़कर आए हैं कि जंग के बाइस इन इलाक़ों में होने वाली हलाकतों में इज़ाफ़ा हो रहा है जो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ दो हज़ार ग्यारह में तीन हज़ार से बढ़ चुकी हैं जो एक रिकार्ड है।