पाकिस्तानी फ़ौज के धावे सिर्फ आँसू पोंछने की कोशिश : अबू ज़िंदाल

लश्कर-ए-तयबा के कारकुन ( कार्यकर्ता) सईद अंसारी उर्फ़ अबू ज़िंदाल ने आज कहा कि पाकिस्तान में 2006 में मख़लवा दहशतगर्द तंज़ीम के लिए चार हिंदूस्तानी काम कर रहे थे ।

और पाकिस्तानी फ़ौज-ओ-वफ़ाक़ी (Federal) तहक़ीक़ाती महकमा ( विभाग) के पाकिस्तान में दहशतगर्दों के कैम्पों पर धावे जो 26 नवंबर के मुंबई दहशतगर्द हमले के बाद किए गए थे , सिर्फ आँसू पोंछने की कोशिश थी । पाकिस्तान में लश्कर-ए-तयबा की कारकर्दगी और इस के ढांचा के बारे में अबू ज़िंदाल से तफ़तीश करने वालों को तफ़सीली ब्यान देते हुए इस ने कहा कि 2006 में इस की मुलाक़ात 4 हिंदूस्तानी शहरीयों से हुई थी जिन्होंने अपना तआरुफ़ (परिचय) बतौर अबू शरजील , और अबू ज़रार मुतवत्तिन (निवासी) ज़िला बेड़ ( महाराष्ट्रा) अबू मसाद मुतवत्तिन ( निवासी) जम्मू और अबू जै़द जिस की रियासत से अबू ज़िंदाल नावाक़िफ़ था , करवाया था ।

मुंबई क्राईम ब्रांच के एक ओहदेदार ने कहा कि ताहम इन चारों के 26/11 के दहशतगर्द हमला से ताल्लुक़ के बारे में कोई सुराग़ नहीं मिले । अबू ज़िंदाल ने ये भी दावा किया कि बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) दबाव के तहत कार्रवाई करते हुए 26 नवंबर के चंद दिन बाद पाकिस्तानी फ़ौज ने मर्कज़ी महकमा ( केंद्रीय विभाग) सुराग़ रसानी के अमला के साथ कंट्रोल रुम पर धावा किया और उसे तबाह कर दिया ।

कई माह बाद वफ़ाक़ी महकमा (Federal Department) सुराग़ रसानी ने बैत उल-मुजाहिदीन कैंप पर जब धावा किया और लश्कर-ए-तयबा के कमांडर ज़की अलरहमान लखवी और बादअज़ां लश्कर-ए-तयबा के चंद कारकुनों को गिरफ़्तार किया गया । ज़िंदाल के इन्किशाफ़ ( ज़ाहिर) के बमूजब ( मुताबिक) दोस्ताना धावे हिंदूस्तानी सयान्ती महकमों के आँसू पूछने की कोशिश में थे ।