नई दिल्ली। 30 सितंबर (पी टी आई) पाकिस्तान 1970-के दहे में की गई ग़लतीयों की भारी क़ीमत अदा कररहा है जबकि इस ने मज़हब को सियासत के साथ जोड़ कर इंतिहापसंदी को फ़रोग़ देना शुरू किया था। साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म बर्तानिया टोनी बलेर ने CNBC TV18 से बातचीत करते हुए इन ख़्यालात का इज़हार किया। उन्हों ने कहा कि मज़हब को सियासत से ख़लत-मलत और मज़हबी स्कूलस की हौसलाअफ़्ज़ाई के ज़रीया 1970-के दहे में पाकिस्तान ने जो गलतीयां की हैं, वो अब इन ग़लतीयों की क़ीमत चुका रहा है। उन्हों ने कहा कि बाअज़ मज़हबी इदारे इंतिहापसंदी के ख़तरनाक ज़राए बन चुके हैं। दहश्तगर्दी के फ़रोग़ में आई ऐस आई का रोल और अफ़्ग़ानिस्तान में हक़्क़ानी ग्रुप से इस के रवाबित के बारे में पूछे जाने पर टोनी बलेर ने ये बात कही। जब उन से सवाल किया गया कि क्या अमरीका उसामा बिन लादन को ख़तन करने के बाद हक़्क़ानी ग्रुप के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगा? बलेर ने कहा कि ये ऐसा मुआमला है जिस के ताल्लुक़ से फ़ैसला ख़ुद अमरीकी करेंगी। उन्हों ने कहा कि इन ग्रुपस के साथ सब से ज़्यादा मुश्किल ये है कि इन में सुधार मुम्किन नहीं है। इन्ही मसाइल पर पाकिस्तान के अफ़्ग़ानिस्तान में असर-ओ-रसूख़ या फिर हिंदूस्तान की जानिब से इसी तरह के मौक़िफ़ का इज़हार किया जा सकता है लेकिन इन ग्रुपस की ताईद से किसी मुसबत नतीजा की तवक़्क़ो करना फ़ुज़ूल है। अगर आई ऐस आई ऐसी किसी सरगर्मी में मुलव्वस हो तो इस के नतीजा में ना सिर्फ अमरीका, बर्तानिया, अफ़्ग़ानिस्तान या हिंदूस्तान मुतास्सिर होंगे बल्कि पाकिस्तान का माहौल भी ज़हर आलूद होजाएगा। साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म बर्तानिया ने कहा कि अगर आई ऐस आई और दहश्तगर्द ग्रुपस जैसे हक़्क़ानी नट वर्क और लश्कर-ए-तुयेबा के साथ रवाबित पाए जाते हैं तो ये एक ग़लती होगी।