पाकिस्तान में ल़डकियों की तालीम के लिए आवाज उठाने वाली लड़की मलाला यूसुफजई की सवानेह उम्री (Autobiography) “मैं हूं मलाला” का पेशावर युनिवर्सिटी में रिलीज होनी थी, जिसे टाल दिया गया। सूबे की हुकूमत ने कहा कि वह प्रोग्राम को सेक्युरिटी मुहैया नहीं करा सकती।
पेशावर युनिवर्सिटी के ज़राये के हवाले से जिओ न्यूज के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा सूबे की हुकूमत ने प्रोग्राम के दौरान सेक्युरिटी देने से हाथ खींच लिया। मलाला पर तालिबान दहशतगर्दों ने स्वात जिले में 2012 में कातिलाना हमला किया था और इसी हमले के बाद वह ल़डकियों की स्कूली तालीम के लिए ल़डाई ल़डने वाली कारकुन की शक्ल में दुनियाभर में मशहूर हुई।
इस प्रोग्राम का इंइकाद बच्चा खान फाउंडेशन ने किया था और युनिवर्सिटी के एरिया स्टडी सेंटर में प्रोग्राम होना था। सूबाई हुकूमत के वुजराओं ने इनायतुल्लाह खान और शाह फरमान ने प्रोग्राम को रोक दिया। सूबे के इंफार्मेशन मिनिस्टर शाह फरमान ने हालांकि बाद में कहा कि युनिवर्सिटी में इस प्रोग्राम के होने के बारे में ऐतराज़ के बावजूद प्रोग्राम को रोका नहीं गया है।
फरमान ने कहा, “”तालीमी इदारा में किसी को बतौर शक सरगर्मियों की इजाजत नहीं दी जाएगी।”” वाजेह है कि मलाला की किताब पर दुनियाभर से मुसबत जवाब आयें है, लेकिन पाकिस्तान में इसको लेकर मुसबत जवाब नहीं आये हैं।