नई दिल्ली,ओसामा जकरिया : दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले उपस्थित विभिन्न उर्दू साहित्य प्रकाशन जहा खाली नज़र आ रहे हैं वहीं उर्दू साहित्य के देवनागरी और हिंदी अनुवाद करने वाले प्रकाशनों पर काफी भीड़ नज़र आ रही है।
इसी तरह के एक विशेष प्रकाशन रुझान और एनीबुक पर एक विशिष्ट नज़ारा देखने को मिला। इस प्रकाशन द्वारा उर्दू साहित्यकारों की पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद किया गया जैसे जॉन अलिया की किताब गुमान का पूरा हिंदी में अनुवाद रखा हुआ है। और साथ ही साथ बड़े लेखक जैसे सआदत हसन मंटो, जॉन अलिया, मिर्ज़ा ग़ालिब के कलाम को उनको स्केचों के साथ लगाये गए हैं। फैज़ अहमद फैज़ एवम् ग़ालिब के स्केच इन्होंने युवाओं को आकर्षित करने के लिए टी-शर्ट पर छापे हैं।
स्टाल पर खड़े आयोजक पराग अग्रवाल ने बताया की पोस्टरों, स्केचों एवं अनुवादों द्वारा उर्दू साहित्य को लोगो तक पहुंचाना उनका एकमात्र लक्ष्य है। वे ग़ालिब, मंटो, जॉन अलिया जैसे लेखकों आज की पीढ़ी से परिचय कराना चाहते हैं।
स्टाल पर पहुंची युवती सुरभि ने बताया की उनको उर्दू भाषा बहुत दिलचस्प लगती है उनको उर्दू साहित्य पढ़ने में मज़ा आता है लेकिन वे उर्दू लिपि पढ़ना नहीं जानती है इसलिए वे उसके देवनागरी अनुवाद को पढ़ती हैं।
वहीं एक महिला मधु जो की उर्दू लेखको को पढ़ने में दिलचस्पी रखती हैं बताती हैं की वे निदा फ़ाज़ली फ़िराग गौरखपूरी की ग़ज़लें, मंटो की कहानियाँ, पढ़ना पसन्द करती हैं। मधु बताती हैं की उनको उर्दू पढ़नी नहीं आती इसी कारण वे देवनागरी एवम् अंगेज़ी में सभी को पढ़ती हैं। उनका कहना है की यह उर्दू का देवनागरी अनुवाद आज के समय में काफी सहायक है। आज जब उर्दू पढ़ने वाले चन्द ही लोग बचे हैं तो ऐसे में सभी प्रकाशनों को देवनागरी अनुवाद प्रकाशित करना चाहिए। इसी के ज़रिये आज हम सभी को उर्दू साहित्य के बारे में जानने का मौक़ा मिलता है।
वाणी प्रकाशन के उर्दू की देवनागरी अनुवाद लिपि की श्रेणी में खड़े एक युवक यशस्वी ने बताया की वे एक मेडिकल छात्र है इसके बावजूद उनको उर्दू साहित्य पढ़ने में आनंद आता है। वे ग़ज़ल, नज़्में, शायरी इत्यादि पढ़ना पसन्द करते हैं और साथ ही साथ खुद लिखने में भी काफी दिलचस्पी रखते हैं। यशस्वी बताते हैं की उनको उर्दू पढ़नी नहीं आती इसलिए वे अपने पसंदीदा लेखकों को देवनागरी में पढ़ते हैं।