बलात्कार में आसाराम को उम्रकैद की सजा का काशी के धर्माचार्यों ने मुक्तकंठ से स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि आसाराम के पाप का घड़ा कब का भर चुका था, अब सजा की घोषणा के साथ वह फूट भी गया है।
अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी ने कहा कि हम धार्मिक दृष्टि से न भी देखें तो सामाजिक दृष्टि से आसाराम ने एक बुजुर्ग होने की आड़ में घृणास्पद कृत्य किया। आसाराम ने न सिर्फ अपना चारित्रिक पतन किया बल्कि समाज का विश्वास भी तोड़ा है। समाज के विश्वास को तोड़ने की सजा और बड़ी व कड़ी होती तब भी कम था। सतुआबाबा आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर संतोष दास ने कहा, अदालत के इस निणर्य से प्रमाणित हो गया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था सभी के लिए समान है। अपराधी चाहे किसी धर्म, जाति, संप्रदाय का हो, वह दंड का पात्र है। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर संत बालक दास ने कहा कि जिस प्रकार एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है, कुछ ऐसा ही आसाराम ने किया। उनके कुकृत्य का लांछन पूरे संत समाज को झेलना पड़ा। ऐसे लोगों के लिए उम्रकैद की सजा भी कम है।
आसाराम के हरहुआ स्थित स्थानीय आश्रम में बुधवार सुबह से दोपहर तक उनके अनुयायी पूजा-पाठ में जुटे हुए थे। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी पूजापाठ से आसाराम को सजा नहीं होगी। दोपहर में आसाराम को दोषी करार देने और सजा होने की खबर आने के बाद आश्रम का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया। पूजा पाठ में लगे लोग, एक-एक करके आश्रम के पिछले दरवाजे से निकल गए। आमतौर पर रोशनी से जगमग रहने वाला आश्रम बुधवार की शाम अंधेरे में डूबा रहा।
जोधपुर कोर्ट में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाच कर खुशी का इजहार किया। कार्यकर्ताओं ने पटाखे छोड़े और मिठाइयां बांटी। न्यायपालिका जिंदाबाद के नारे भी लगाए। सेवादल के जिलाध्यक्ष हरीश मिश्रा ने कहा कि आसाराम को उम्रकैद की सजा होने से आम लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा। इस दौरान देवी प्रसाद यादव, रंजीत सेठ, रवींद्र वर्मा, भोला यादव, इंद्रेश मिश्रा, महेंद्र सिंह, अंकित सिंह आदि मौजूद थे।