पार्लीमेंट का सरमाई इजलास ठोस होने की उम्मीद‌

मर्कज़ी वज़ीर-ए-पार्लीमानी उमूर कमल नाथ ने उम्मीद ज़ाहिर की कि पार्लीमेंट का सरमाई इजलास ठोस होगा और कई अहम क़ानून साज़ियों को मंज़ूरी दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि पार्लीमेंट का सरमाई इजलास ठोस इजलास साबित हो क्योंकि कई क़ानून साजियाँ और कई मुसव्विदात क़ानून मंज़ूरी के मुंतज़िर हैं। लोक सभा का इस ठोस कार्रवाई के बाद ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजिश्ता दो इजलासों में जो वक़्त ज़ाए हुआ है उसकी पुर्ती ज़रूरी है इस लिए वो उम्मीद करते हैं कि तमाम सियासी पार्टियां उस ज़रूरत को महसूस करेंगी और इस बात को यक़ीनी बनाएगी कि लोक सभा का इजलास तामीरी अंदाज़ में जारी रहे।

कमल नाथ मआशी शोबा में मुस्तक़बिल की इस्लाहात(सुधार) के बारे में अख्बारी नुमाइंदों के सवालात का जवाब दे रहे थे। वो ऑल इंडिया मनिजमेंट एसोसीएश‌ण के ज़ेर-ए-एतिमाम एक तक़रीब के दौरान अलाहदा तौर पर प्रेस कान्फ़्रेंस में शिरकत कररहे थे। उसे पहले उन्होंने तक़रीब से ख़िताब करते हुए कहा था कि हुकूमत और शोबा सनअत दोनों को आलमी मआशी हालात से सबक़ सीखना चाहिए और दलेराना अंदाज़ में रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सिर्फ़ हुकूमत की दिलेरी काफ़ी नहीं है। ग़ैर यक़ीनी सूरत-ए-हाल पर क़ाबू पाने के लिए उससे दिलचस्पी रखने वाले तमाम अफ़राद बिशमोल माहिरीन मआशियात, सनअत और सनअत कारों को भी जुर्रत का मुज़ाहरा करना होगा। उन्होंने कहा कि मआशी मुबादियात अब भी मजबूत‌ हैं और मुल्क की दुबारा तरक़्क़ी देखी जाएगी।

उन्होंने कहा कि हुकूमत सरमाया मंडियों, रास्त सर्माया कारी और टैक्स के निज़ाम में ज़्यादा शफ़्फ़ाफ़ियत पैदा करने के लिए मज़ीद इस्लाहात कररही है। उन्होंने कहा कि शरह तरक़्क़ी का अहया मुल्क के लिए चैलेंज है और सब को साथ लेकर तरक़्क़ी करना और भी ज़्यादा मुश्किल है।

उन्होंने कहा कि समाजी उम्मीदों में तवाज़ुन बरक़रार रखना भी एक चैलेंज है। हिंदुस्तान का इंतिज़ामिया सालों से आलमयाने के साथ रब्त बरक़रार रखे हुए है और सरमाया की आमद, तिजारत पर इसके असरात नुमायां नज़र आरहे हैं।