लंदन । ( सियासत न्यूज़) बुज़ुर्ग ब्यूरो किरीट और पुर्व सफ़ीर हिंद बराए अमेरीका डाक्टर आबिद हुसैन का आज सुबह दिल कि हरकत बंद होने से नींद की हालत में इंतिक़ाल होगया ।
आबिद हुसैन को 1988 में पदमा भूषण का एज़ाज़ दिया गया था । वो 85 साल के थे । वारिसों में पत्नी के इलावा दो बेटे सुहेल हुस्न (यू के ), राणा हुस्न (दिल्ली) , बेटी ऊषा का हुसैन (अमेरीका) शामिल हैं ।
बताया जाता है कि आबिद हुसैन साहिब /17 जून को अपनी पत्नी के साथ लंदन पहूंचे थे । उन की पत्नी अपने बेटे के घर में मुक़ीम थीं और वो मीटिंग के सिलसिले में होटल से कान्फ़्रैंस हाल पहूंचे । मीटिंग के बाद होटल आकर अपने कमरे में सो गए । नींद में ही इंतिक़ाल होगया । सुबह जब उन के बेटे इन्हें लेने के लिए होटल पहूंचे तो कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था । उन की लाश लाने के लिए सरकारी तैयारीयां जारी हैं ।
उन के छोटे बेटे वाशिंगटन से लंदन पहूंच गए हैं । बेटी भी अमेरीका से आचुकी हैं । नमाज़ जनाज़ा और तदफ़ीन से मुताल्लिक़ तफ़सीलात हैदराबाद में उन के भाई जनाब तुराब उल-हसन साहिब से फ़ोन नंबर 23396324 पर तफ़सीलात मालूम की जा सकती हैं ।
वो /19 डसमबर 1926 को हैदराबाद में पैदा हुए थे । आई ए एसकी तालीम हासिल करने के बाद उन्हों ने कॉमर्स सेक्रेटरी और सेक्रेटरी भारी सनतें समेत हकूमत-ए-हिन्द के मुख़्तलिफ़ ओहदों पर ख़िदमत अंजाम दि । 1985 में वो मंसूबा बंदी कमीशन के सदस्य बने । 5 साल बाद हिंदूस्तानी सफ़ीर बराए अमेरीका तय किया गया । फ़िलहाल वो हैदराबाद में चांसलर आफ़ इंग्लिश एंड फ़ौरन लैंग्वेजस यूनीवर्सिटी थे । इस के इलावा यूनेस्को के इंटरनैशनल पैनल बराए जमहूरीयत और डेवलप्मेंट के सदस्य प्रोफेसर इमारात इंडियन इंस्टीटियूट आफ़ फ़ौरन ट्रेड और फ़ौरन सरवीस इंस्टीटियूट वज़ारत ख़ारिजी उमूर भी थे ।
वो ग़ालिब एकेडेमी के चेयरमैन के इलावा रूमी फ़ाउन्डेशन के नायब सदर भी थे । ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउन्डेशन के भी एक ट्रस्टी थे । उन्हें मराक़िश की एकेडमी का भी रुकन बनाया गया था । बी के कोईराला फ़ाउन्डेशन और इंदिरा गांधी नैशनल सेंटर्ल बराए आर्टस ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे ।
डाक्टर आबिद हुसैन बर्र-ए-सग़ीर हिंद में हिंद चीन जंग और बैन-उल-अक़वामी सियासत के मुसन्निफ़ भी थे। इन के भाई इरशाद पन्जतन एक अदाकार और आर्टिस्ट हैं।