नई दिल्ली: नए साल के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे शहर में कोरेगांव भीमा, पबल और शिकरापुर गांव के लोगों व दलितों के बीच एक कार्यक्रम के दौरान हिंसक झड़प हो गई। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत होने से पूरे इलाके में तनावपूर्ण स्थिति है। पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे में पेरने फाटा के पास विवाद हुआ जिसमें 25 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं और 50 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई।
फड़नवीस ने कहा कि हिंसा फैलाने के लिए 15 हजार के बजाए दो से तीन लाख लोग आए थे जिसकी जांच के आदेश दिए गए। हाइकोर्ट के जज इसकी जांच करेगे। हिंसा के दौरान हत्या की जांच सीआईडी करेगी। अगर पुलिस की 6 कंपनियों को नहीं लगाया जा सकता तो बड़ी घटना हो सकती थी। हिंसा में मारे गए शख्स को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। फड़नवीस ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाई जा रही है।
हालात इतने ज्यादा खराब हो गए कि मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस को तैनात करना पड़ा। पुणे में भड़की हिंसा की चिंगारी धीरे-धीरे अब पूरे महाराष्ट्र में फैलती जा रही है। इस विवाद का असर महाराष्ट्र के मुलूंड में भी देखने को मिला। घटना से नाराज लोगों ने कई दुकानों में तोड़फोड़ की और जो दुकानें खुली थी उनको बंद करा दिया। महाराष्ट्र के मुलुंड, चेंबूर, औरंगाबाद, बुलढाणा, जालना, अहमदनगर, उस्मानाबाद और नांदेड़ में हिंसा की चिंगारी भड़क उठी है।
मंगलवार को इसे लेकर मुंबई के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के उपनगरों थाणे, चेंबूर, मुलुंद में लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं. ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था.