सन 622 में मदीना में आने के बाद इस्लाम के आख़िरी पैग़म्बर मोहम्मद (PBUH) ने दुनिया का पहला संविधान ड्राफ्ट किया.इस संविधान की प्रस्तावना में अलग अलग जातियों से मिल कर बने पूरे देश में एकता की भावना को आगे रखा गया. इस संविधान में एक ग्रुप क़ुरैश थे और 8 अलग यहूदी ग्रुप थे जिन्हें यथ्रिब ग्रुप में माना गया और उन्हें मुसलमानों से अलग उनकी धार्मिक आज़ादी दी गयी. संविधान ने मदीना में एक कई मज़हबों के मुल्क का निर्माण किया.
संविधान को अलग अलग तबक़ों में आई तल्ख़ी को दूर करने के लिए बनाया गया था.इस संविधान में मोहम्मद(PBUH) को सबने अपना गुरु माना था.इस ड्राफ्ट के ज़रिये अलग अलग मज़हब के लोगों को मज़हबी आज़ादी दी गयी.
चार्टर ऑफ़ मदीना में शान्ति के ज़रिये इख्तिलाफात को सुलझाने की कोशिश की गयी थी. इस चार्टर में ग़ैर-मुस्लिमों को जो अधिकार दिए थे वो नीचे दिए गए हैं :-
1. अल्लाह की सिक्यूरिटी सबके लिए है.
2. ग़ैर मुस्लिम लोगों को मुसलमानों के बराबर अधिकार दिए जायेंगे. उन्हें मज़हबी आज़ादी भी होगी.
3. ग़ैर मुसलमान भी मुल्क के ख़िलाफ़ अगर कोई हमला होता है टो साथ देंगे, मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम दोनों ही ग़द्दारी नहीं करेंगे.
4. ग़ैर मुसलमानों को मुसलमानों की मज़हबी जंग में शिरकत करने की या ना करने की आज़ादी होगी.
मदीना के संविधान को हर स्कॉलर ने तरजीह दी है और इसे सही माना है, टॉम हॉलैंड इस बारे में कहते हैं कि मदीना के संविधान के बारे में सभी लोगों में एक राय है और इसे सही माना गया है.