हैदराबाद। हैदराबाद के सांसद व अध्यक्ष आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन असद ओवैसी ने दो टूक अंदाज में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शासन, भ्रष्टाचार, यादव परिवार के आंतरिक झगड़ों को मुद्दा बनाने के बजाय उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राम मंदिर निर्माण और तलाक को मुद्दा बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री ट्रिपल तलाक़ को चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं तो देश उनसे यह जानना चाहती है कि वह जकिया जाफरी से न्याय की बात क्यों नहीं करते?
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार असद ओवैसी पार्टी मुख्यालय दारुस्सलाम हैदराबाद में मीडिया से बात करते हुए कहा कि गुजरात में नरसंहार के समय किसने कहा था कि राहत शिविर बच्चों के उत्पादन के केंद्र बने हुए हैं। अगर प्रधानमंत्री इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाएंगे तो मजलिस भी उत्तर प्रदेश की जनता के सामने अपनी बात रखेगी और राज्य की जनता ही इस पर फैसला करेंगे। प्रधानमंत्री रचनात्मक विषयों पर ध्यान देने के बजाय अब विभाजन की बात कर रहे हैं ताकि इस बात को सुनिश्चित बनाया जाए कि जिस से उनकी पार्टी जीत हासिल करे जो दुखद बात है.
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री यह भूल गए कि 2011 की जनगणना के अनुसार कम उम्र शादियों में एक करोड़ एक लाख मुसलमान नहीं है. प्रधानमन्त्री यह क्यों नहीं कहते कि अलग होना और तलाक की दर धार्मिक अल्पसंख्यक मुसलमानों में अधिक नहीं है। वह कृषि भूमि में सभी धर्मों की बेटियों को हिस्सा देने की बात क्यों नहीं करते?
उन्होंने स्पष्ट किया कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इच्छा जाहिर की है कि वह मुस्लिम लड़कियों को कृषि भूमि में हिस्सेदार बनाएं. प्रधान मंत्री यह क्यों नहीं कहते कि गोवा में शादी के नियमों को बरख़ास्त किया जाएगा क्योंकि गोवा में वे चुनाव का सामना कर रहे हैं जहां हिन्दू भाइयों को सीमित तौर पर बहु विवाह की अनुमति दी गई है।
ओवेसी ने फोन पर तलाक देने की घटनाओं के सिलसिले में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस्लाम में तलाक अवांछित चीज है। अलग होना और तलाक की घटनाओं पर केवल मुसलमानों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है? उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री दिल्ली में बैठकर अफगानिस्तान के एक बांध का उद्घाटन कर सकते हैं तो यह क्या है? यह तकनीक है। उन्होंने कहा कि किसी भी काम के लिए लक्ष्य महत्वपूर्ण होता है। अगर किसी की नीयत सही है तो सही काम होगा अगर किसी की नीयत खराब है तो इसका परिणाम खराब निकलेगा। यह इंटरनेट और ऑनलाइन का ज़माना है। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि तलाक की सलाह नहीं दिया जा सकता। यह अवांछित प्रक्रिया है।