लखनऊ : रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश प्रमुख गृह सचिव देबाशीष पंडा द्वारा भोपाल में हुए फर्जी मुठभेड़ कांड के बाद सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर जारी शासनादेश को अखिलेश यादव सरकार की साम्प्रदायिक और इंसाफ विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया है।
मंच ने एनडीटीवी सरकार विरोधी खबर दिखाने के कारण एक दिन के प्रतिबंध लगाने को मोदी सरकार का लोकतंत्र विरोधी और कुंठित कार्रवाई करार दिया है।
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा है कि मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे सिमी के सदस्य होने के आरोप में बंद 8 कैदियों की जेल से बाहर ले जाकर फर्जी मुठभेड़ में की गई हत्या जिसे कुछ मीडिया और सपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल फर्जी बता रहे हैं, वे उसे किस आधार पर अपने शासनादेश में ‘मुठभेड़’ बता रहे हैं। मंच प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव साम्प्रदायिक हिंदू मतों को खुश करने के लिए इस फर्जी मुठभेड़ को अपने शासनादेश में वास्तविक मुठभेड़ बता रही है। इसी तरह शासनादेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है ‘जेलों की सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त दुरूस्त की गई है’ जो यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश सरकार भाजपा की ही तरह मानती है कि मारे गए कैदी जेल तोड़ कर भागे हैं। जिससे सरकार की मुस्लिम विरोधी चरित्र उजागर होता है। जिसका खामियाजा आने वाले चुनाव में सपा को भुगतना होगा।