वज़ीर-ए-आज़म इस्माईल हनिया ने कहा है कि दुश्मन के ख़िलाफ़ फ़लस्तीनीयों की आज़ादी की जद्द-ओ-जहद और तहरीक मुज़ाहमत एक नए दौर में दाख़िल हो चुकी है। इन का कहना है कि फ़लस्तीनी अवाम अपनी आज़ादी की तारीख़ अपने ख़ून से लिख रहे हैं।
आठ रोज़ा जंग में फ़लस्तीनीयों ने ये साबित किया कि वो गर्दनें कटा सकते हैं लेकिन दुश्मन के सामने झुकने का सोच भी नहीं सकते। हनिया ने इन ख़्यालात का इज़हार ग़ज़ा पट्टी में आठ रोज़ा जंग में शहीद होने वालों की याद में एक तक़रीब से ख़िताब में क्या।
उन्हों ने कहा कि ज़ुलम भी फ़लस्तीनीयों पर किया जाता है,हुक़ूक़ भी उन ही के ग़सब किए जाते हैं और मुज़ाहमत तर्क करने का मुतालिबा भी हम मज़लूमो से ही किया जाता है,
लेकिन हम मुज़ाहमत किसी क़ीमत पर तर्क नहीं करेंगे। फ़लस्तीनीयों की बक़ा मुसल्लह मुज़ाहमत में मुज़म्मिर(छुपा) है।