नई दिल्ली, 03 अप्रैल (पी टी आई) मर्कज़ी हुकूमत ने मुस्लिम बिरादरी तक पहूँचते हुए मुख़्तलिफ़ मसाइल पर मुसलमानों की दिलजोई करने की एक कोशिश के तौर पर दहशतगर्दी के वाक़ियात में मुल्ज़िम बनाए गए बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों के मुक़द्दमा की आजलाना यकसूई के मक़सद से फ़ास्ट ट्रैक अदालतें क़ायम करने के मुतालिबा का जायज़ा लेने का फ़ैसला किया है।
मुस्लिम सयासी क़ाइदीन के एक वफ़द ने जिन में चंद अरकान-ए-पार्लीमेंट भी शामिल थे, मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला सुशील कुमार शिंदे से आज मुलाक़ात करते हुए मुतालिबा किया था कि इन बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों के साथ इंसाफ़ किया जाये जो दहशतगर्दी के इल्ज़ामात के तहत मुख़्तलिफ़ जेलों में क़ैद हैं। मुस्लिम क़ाइदीन से मुलाक़ात के बाद शिंदे ने पी टी आई से कहा कि हम इस मुतालिबा का जायज़ा लेंगे।
सी पी आई के सीनीयर लीडर ए बी बर्धन की क़ियादत में अरकान-ए-पार्लीमेंट और मुख़्तलिफ़ मुस्लिम क़ाइदीन ने वज़ीर-ए-दाख़िला को 14 नकाती याददाश्त पेश की जिस में मुतालिबा किया गया है कि फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के क़ियाम के फ़ैसले का फ़िलफ़ौर ऐलान किया जाये।
नीज़ ऐसे तमाम बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को फ़िलफ़ौर ज़मानत पर रिहा किया जाये जो दहशतगर्दी के मुख़्तलिफ़ इल्ज़ामात के तहत दो साल या इससे ज़ाइद मुद्दत से मुख़्तलिफ़ जेलों में क़ैद हैं। क़ब्लअज़ीं इस वफ़द ने शिंदे के नायब आर पी एन सिंह से भी मुलाक़ात की थी और इस मससे पर अपने मुतालिबात से बाख़बर किया था।
शिंदे ने हाल ही में वज़ीर-ए-दाख़िला उमोर के रहमान ख़ान को एक मकतूब रवाना करते हुए कहा था कि उनकी वज़ारत इस ज़िमन में ख़ुसूसी सरीअ उल-समाअत अदालतों के क़ियाम की तजवीज़ की पुरज़ोर हिमायत करती है ताकि दहशतगर्दी के इल्ज़ामात का सामना करने वाले बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों के मुक़द्दमात की आजलाना यकसूई को यक़ीनी बनाते हुए उन्हें राहत पहुँचाई जा सके।
शिंदे ने वादा किया था कि बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को मुक़द्दमात में फंसाने के ज़िम्मेदार आफ़िसरान के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। मर्कज़ी वज़ीर-ए-दाख़िला ने कहा था कि बेक़सूर अफ़राद को जानबूझ कर पुलिस तहवील में रखना एक संगीन जुर्म है। इलावा अज़ीं मर्कज़ी वज़ारत-ए-दाख़िला ने बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को हिरासत में रखे जाने की शिकायत का इल्म होने पर इन वाक़ियात को मुताल्लिक़ा रियासतों से रुजू करने का फ़ैसला भी किया था।
कई मुस्लिम तंज़ीमें एक तवील अर्सा से मुतालिबा कर रही हैं कि बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को झूटे मुक़द्दमात में फंसाने वाले आफ़िसरान के ख़िलाफ़ सख़्त तरीन कार्रवाई की जाये वज़ीर ए अक़लीयती बहबूद के रहमान ख़ान ने क़ब्लअज़ीं शिंदे के मौसूमा अपने मकतूब में इस बात पर ज़ोर दिया था कि ऐसे मुक़द्दमात की अंदरून एक साल की यकसूई कर ली जाये।
नीज़ बेक़सूर पाए जाने वाले मुस्लिम नौजवानों को मुआवज़ा अदा किया जाये। उनकी मुनासिब बाज़ आबादकारी की जाये और उन्हें झूटे मुक़द्दमात में फंसाने वाले आफ़िसरान के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाये।