फ़ोन या जासूसी आला ?

अगर आप से कोई ये कहे कि आप की जेब या पर्स में एक ऐसा आला है जो इस बात की पूरी पूरी ख़बर रखता है कि आप कहां जा रहे हैं, कहां से आरहे हैं, किस से बात कर रहे हैं और किस मुक़ाम पर मौजूद हैं यहां तक कि आप ने कहां कहां ख़रीदारी की है, क्या चीज़ें ख़रीदी हैं, कब नींद की आग़ोश में पहूंचे और फिर आप मदहोश नींद की बाँहों से कब बाहर निकले।

तो हमें पूरा यक़ीन है कि आप इन बातों पर यक़ीन नहीं करेंगे, और उन्हें सिर्फ एक मज़ाक़ समझ कर नजर अंदाज़ करेंगे। लेकिन ये हक़ीक़त है कि आप के पर्स और जेब में ये आला मौजूद रहता है और उसे आप सेल फ़ोन कहते हैं। सेल फ़ोन के ज़रीया अब हर किसी पर नज़र रखना आसान होगया है।

ख़ासकर जासूसी कंपनीयां, खु़फ़ीया एजैंसीयां और क़ानून की हिफ़ाज़त में मसरूफ़ इदारे सेल फोन्स के ज़रीया कई मुअम्मा हल कर रहे हैं और राज़ों को फ़ाश करते जा रहे हैं। आप को बतादें कि सेल फोन्स दरअसल एक ट्रेकिंग डिवाईस पता लगाने वाला है।

अच्छी तरह इस बारे में सोच लें और इस आला को सेल फोन्स की बजाय ट्रेकर (Tracker)का नाम दें।इस आला ( मोबाइल फ़ोन ) के असल काम के बारे में अक्सर जो शुबहात पाए जाते थे हाल ही में इन का उस वक़्त अज़ाला हुआ, जब इस बात का इन्किशाफ़ किया गया

कि गुज़श्ता साल सिर्फ़ अमरीका में ही सेल फ़ोन इस्तिमाल करने वाले तक़रीबन 1.3 मिलयन सारिफ़ीन या अफ़राद से क़ानून नाफ़िज़क रनेवाली एजैंसीयों ने काल डाटा या कालस की तफ़सीलात तलब की।

इस तरह की शिकायात की हक़ीक़ी तादाद के बारे में सही तौर पर नहीं कहा जा सकता क्यों कि टी मोबाइल ने जो सेल फ़ोन शोबा में काफ़ी एहमीयत रखता है अपने नंबर्स का इन्किशाफ़ करने से इनकार करदिया।

ये भी समझा जाता है कि सेल फोन्स इस्तिमाल करने वाले लाखों अफ़राद अपने कालस और उन के मुक़ामात के बाइस सरकारी निगरानी निज़ाम की ज़द में आए हैं और हज़ारों अफ़राद निगरानी निज़ाम की ज़द में आने से बच भी गए होंगे।

कई पुलिस एजैंसीयां टेलीफ़ोन कंपनीयों से काल डाटा तलब करने केलिए कोई सर्च वारंट भी हासिल नहीं करतीं। हद तो ये है कि GPS टैक्नालोजी और स्मार्ट फ़ोन अपलाइनस (आलात ) के नतीजा में सेल फोन्स इस बात का भी नोट ले रहे हैं कि हम ने किया ख़रीदा है, कब और किस मुक़ाम से ख़रीदी की है।

बैंकों में हमारी कितनी रक़म जमा है। हम ने किसे ई मेल रवाना किया, कौन से वैबसाईटस का हम मुशाहिदा करते हैं, कैसे और कहां सफ़र करते हैं, किस वक़्त सोते हैं, कब जागते हैं वग़ैरा वग़ैरा। एक तरह से हम ये तमाम तफ़सीलात उन कंपनीयों से शेर करते हैं जिन से सेल फ़ोन ख़िदमात हासेल की जाती हैं।

मिसाल के तौर पर हम अपने मोबाईल फ़ोन पर किसी रेसटोरनट का मुक़ाम मालूम करने के लिए नक़्शों का जायज़ा लेते हैं तो ख़ुदबख़ुद और हमारी लाइलमी में मोबाईल कंपनी को हम ये बता देते हैं कि हमें किस होटल की तलाश है और वहां क्या करने जा रहे हैं।

मुवासलाती शोबा के माहिरीन का कहना है कि ख़ानगी (प्राइवेट) कंपनीयां अपने ग्राहकों या सारिफ़ीन की बातचीत, नक़ल-ओ-हरकत और यहां तक कि ख़्यालात का पता चलाने नई ख़िदमात को फ़रोग़ देने अरबों डॉलर्स ख़र्च कर देती हैं।

ऐसे में हम आप से कहते हैं कि ख़बरदार सेल फ़ोन का इस्तिमाल बड़ी एहतियात से कीजिए वर्ना आप की हर हरकत का पता किसी को भी लग सकता है।