फूल और पत्थर 60 के दहे के शोले थे

बॉलीवुड के धर्मेन्द्र से हुई एक हालिया मुलाक़ात में जब उनसे उन की शुरु पसंदीदा फिल्मों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सब से पहले आँजहानी ओ पी रल्हन की हिदायत में बनाई गई 1964 की फ़िल्म फूल और पत्थर का तज़किरा किया जिस में उनके साथ मीनाकुमारी शशी कल्ला मुदुन पूरी जीवन ललीता पवार और ख़ुद ओ पी रल्हन ने काम किया था।

धर्मेन्द्र ने कहा कि इससे क़बल वो हल्की फुल्की कहानियों वाली ब्लैक ऐंड वाईट फिल्मों के हीरो कहलाते थे जैसे पुर्निमा, चांद और सूरज अंपढ़, मेरा क़सूर किया है पूजा के फूल और देवर वग़ैरह‌ लेकिन फूल और पत्थर जब रीलीज़ हुई तो उन्हें ऐसा मालूम हुआ कि जैसे कोई नहर अचानक भा कड़ा नंगल डैम में तबदील होगई हो क्योंकि फूल और पत्थर ने उन्हें उनके कैरियर में जो तेज़ रफ़्तारी अता की उसे वो किसी डैम के तेज़ रफ़्तार पानी से ही ताबीर करसकते हैं।

धर्मेन्द्र ने कहा कि इस फ़िल्म को हिंदुस्तान के इलावा दुनिया के उन तमाम शहरों में जहां हिन्दी फिल्में देखी जाती हैं काफ़ी सराहा गया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि ये कहना झूट‌ नहीं होगी कि फूल और पत्थर 60 के दहिये की शोले थी। उन्हों ने कहा कि आज जब गुज़रे हुए ज़माने पर नज़र डालता हूँ तो अजीब लगता है।

आज मेरे बेटे फिल्मों में हैं एक बेटी की कैरियर भी ख़ूब चली और अब तो मेरा पोता किरण दयोल भी बाली वुड में दाख़िले का मुंतज़िर है। दुआ कीजिए कि उसे भी अपने दादा की तरह कामयाबी मिले।