प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फेक न्यूज को लेकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस को वापस लेने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि यह पूरा मसला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों पर सुनवाई का अधिकार इन्हीं संगठनों के पास में है।
इससे पहले फेक न्यूज को लेकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा द्वारा एक संशोधित गाइडलाइन जारी की गई थी जिसमें ‘फेक न्यूज’ से निपटने के लिए कई प्रावधानों को शामिल किया गया था और इसमें पत्रकारों की मान्यता खत्म करने जैसे कड़े प्रावधान भी शामिल किए गए थे।
#FLASH: Prime Minister has directed that the press release regarding fake news be withdrawn and the matter should only be addressed in Press Council of India. pic.twitter.com/KVUBeAoDhC
— ANI (@ANI) April 3, 2018
मंत्रालय के इस कदम की आलोचना भी शुरू हो गई थी। मीडिया संस्थानों ने सरकार के इस कदम को पत्रकारों का मुंह बंद करने वाला कदम बताया था।
मंत्रालय द्वारा जारी बयान फेक न्यूज से निपटने के प्रावधानों का जिक्र किया गया था उनमें प्रमुख थे-
यदि फेक न्यूज के बारे में किसी तरह की शिकायत मिलती है तो उसे संबंधित संस्था के पास भेजा जाएगा, यानि यदि वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और यदि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) को भेजा जाएगा। ये संस्थाएं यह तय करेंगी कि न्यूज सही है या फेक।’
जांच 15 दिनों में पूरी की जाएगी और एक बार फर्जी न्यूज की शिकायत सही पाए जाने पर उसे बनाने और प्रसार करने वाले की मान्यता सस्पेंड कर दी जाएगी।
पहली बार दोषी पाए जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जायेगी।
दूसरी बार ऐसा करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिये निलंबित की जायेगी।
वहीं तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार( महिला/ पुरूष) की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जायेगी।