सूत्रों के मुताबिक फॉरेंसिक जांच में सामने आया है कि वरिष्ठ फत्रकार गौरी लंकेश की हत्या दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठन सनातन संस्था के एक संगठन से बरामद बंदूक का इस्तेमाल किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस द्वारा अगस्त 2018 में इस हत्याकांड में इस्तेमाल 16 देसी बंदूक की फॉरेंसिक जांच की गई है। जांच में सामने आया है कि इननें से एक गन से हत्यारों को ट्रेनिंग दी गई। हाल ही में कर्नाटक पुलिस के फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के विशेषज्ञों द्वारा 7.65 मिमी की बंदूक का विश्लेषण किया गया था ताकि पता लगाया जा सके कि लंकेश को गोली मारने के लिए इनमें से किसी बंदूक का इस्तेमाल किया गया था या नहीं। इस विश्लेषण में बेलगावी के पास कीनी जंगल में पाई गई गोलियों और कारतूसों की तुलना की गई जहां हत्यारों ने हत्या से पहले प्रशिक्षण प्राप्त किया था। जांच में सामने आया है कि हत्यारों ने ट्रेनिंग के दौरान इनमें से एक बंदूक का इस्तेमाल किया था। जांच में यह भी सामने आया कि लंकेश को मारने के लिए इस्तेमाल की गई 7.65 मिमी की बंदूक काइने जंगल में ट्रेनिंग में भी इस्तेमाल की गई थी।
वहीं मामले की जांच कर रही कर्नाटक पुलिस की एसआईटी ने इससे पहले जांच में पाया कि पत्रकार को कथित रूप से 26 वर्षीय परशुराम वाघमारे ने गोली मारी थी, जिसे सनातन संस्था से जुड़े एक संगठित गिरोह द्वारा भर्ती और प्रशिक्षित किया गया था। 23 नवंबर 2018 की एसआईटी चार्जशीट के मुताबिक, वाघमारे और उसके सहयोगी गणेश मिस्किन (27) एक मोटरसाइकल पर पत्रकार लंकेश के घर गए और उनको गोली मार दी।
एसआईटी की जांच में सामने आया कि हत्या से कुछ हफ्ते पहले वाघमारे और मिस्किन को कथित रूप से साजिश में शामिल तीन अन्य लोगों ने बंदूक चलाने के लिए ट्रेनिंग दी थी। जिसमें पुणे स्थित संथान संस्थान के पूर्व हिंदू संयोजक, हिंदू जनजागृति समिति के पूर्व संयोजक अमोल काले भी शामिल थे.
सभार : जनसत्ता