हिंदुस्तानी फौज की कारगिल फतह में फौज के मुस्लिम जवानों को सारी क्रेडिट देने वाले उत्तर प्रदेश के वज़ीर आजम खां ने सवाल उठाया है कि फौज में मुस्लिम रेजीमेंट क्यों नहीं है। गाजीपुर में कल आजम खां ने कहा कि मोदी ने लोगों के दिल तो कांग्रेस ने मुल्क को बांटा है। मोदी के असम पहुंचने के कुछ वक्त पहले वहां खूनखराबा हुआ। वह मुल्क संभालेंगे तो न जाने क्या होगा।
बलिया लोकसभा हल्के के पखनपुरा गांव में आजम ने कहा कि फौज में जब सिख, राजपूत व गोरखा रेजिमेंट बन सकता है तो मुस्लिम रेजिमेंट क्यों नहीं। इस तब्के को उसका हक मिलना ही चाहिए। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि हमारे मुल्क में मुनासिब सुबूत न होने के बावजूद खास तब्का का होने के सबब एक शख्स को फांसी दे दी गई। वहीं साबिक वज़ीर ए आज़म राजीव गांधी के कातिलों को सुबूत के बाद भी फांसी के फंदे से बचाने की कोशिश की जा रही है।
इससे पहले के अपने बयानों को सही ठहराते हुए आजम ने कहा कि इलेक्शन कमीशन हमारे ऊपर पाबंदियां लगा रहा है जबकि भाजपा के लीडर अमित शाह धड़ल्ले से बोल रहे हैं। तमाम रोक के बावजूद वह अपनी बात कहते रहेंगे। अयोध्या के मुतनाज़ा मुकाम पर भी आजम खां तब्सिरे करने से चूके नहीं। उन्होंने कहा मंदिर व मस्जिद दोनों ही पाक मुकाम हैं। इसे कई टुकड़े करने की बात समझ में नहीं आती है।
आजम खां ने गाजीपुर से वापसी के दौरान गुपचुप तरीके से वाराणसी के मुस्लिम मज़हबी रहुनुमाओ से मुलाकात की और इलेक्शन के लिए उनकी दुआ लेकर वापस हो गए। बलिया पार्लिमानी हल्के के पखनपुरा गांव में उन्होंने खिताब तो किया लेकिन वीडियोग्राफी कर रही इंतेज़ामिया की टीम पर नाराजगी जताते हुए ऐसा करने से यह कहकर रोक दिया कि रियासत में हमारी ही सरकार रहनी है। वाराणसी में मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी से मिलने पहुंचे। फिर काजी-ए-शहर मौलाना गुलाम यासीन से मुलाकात की।