बीदर२३ दिसम्बर:( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) डाक्टर ख़ुसरो हुसैनी
सज्जादा नशीन दरगाह हज़रत ख़्वाजा बंदानवाज़ गुलबर्गा ने कहा है कि बच्चों
की तालीम-ओ-तर्बीयत अगर दीनी माहौल में होती है तो घर का निज़ाम बेहतर
होता है, दरअसल बच्चों की सही तालीम-ओ-तर्बीयत एक अहम दीनी फ़रीज़ा है, इस
से अगर ग़फ़लत होती है तो घर का माहौल तबाह हो जाता है।
इस फ़रीज़ा की अदायगी पर ख़ुसूसी दिलचस्पी के साथ अमल ज़रूरी है। डाक्टर ख़ुसरो हुसैनी हिली ख़ैर टाउन ( बी) ताल्लुक़ा हम्ना बाद में दार-उल-उलूम मुस्तफ़ा का
इफ़्तिताह करने के बाद यहां मुनाक़िदा एक इजलास को मुख़ातब कर रहे थे।उन्हों
ने बताया कि मदर्सा हज़ा के क़ियाम केलिए जनाब एजाज़ बाबा ने अपने वालदैन के
ईसाल-ए-सवाब केलिए अपने मौरूसी मकान को वक़्फ़ करदिया है जो बिलाशुबा एक
अच्छा और नेक इक़दाम है। उन्हों ने मदर्सा के ज़िम्मा दारान को हिदायत दी
कि दार-उल-उलूम मुस्तफ़ा एक दीनी दरसगाह के तौर पर तरक़्क़ी करते हुए दीनी
उलूम के साथ साथ असरी तालीम का बेहतरीन मर्कज़ बन कर मिल्लत के नौनिहालों
को दीन के बेहतरीन सिपाही के तौर पर मुतआरिफ़ करवाता रहे।
उन्हों ने बताया कि बच्चों की तालीम-ओ-तर्बीयत में असर अंदाज़ होने वाला
मदर्सा दीनी मदर्सा है, बच्चों की शख़्सियत के मुख़्तलिफ़ पहलोओं को हम
आहंगी के साथ प्रवान चढ़ाने की ज़िम्मेदारी दीनी मदारिस के सपुर्द होती
है, बच्चे जो मुदर्रिसा के बाहर सीखते हैं इस में ना तो कोई नज़म होता है
और ना तर्बीयत बरख़िलाफ़ इस के दीनी मुदर्रिसा एक मुनज़्ज़म इदारा होता है जो
बासलाहीयत असातिज़ा की मदद से एक ख़ास नज़म-ओ-तर्बीयत के साथ बच्चों को
तालीम देता और उन की सीरत-ओ-शख़्सियत को संवारता है। उन्हों ने ज़िम्मा
दारान मदर्सा को मश्वरा दिया कि तलबा-ए-की तालीम-ओ-तर्बीयत के लिए जामिआ
निज़ामीया से फ़ारिगुल तहसील असातिज़ा का तक़र्रुर करें। आज के इस पर फ़ितन
दौर में उस्ताद का बेहतर होना मदर्सा की तरक़्क़ी का ज़ामिन होता है
क्योंकि बच्चे उस्ताद को दुनिया का सब से बड़ा आदमी समझते हैं और उस्ताद
की मालूमात पर ग़ैरमामूली एतिमाद करते हैं और उन के किरदार को अपने लिए
काबिल तक़लीद समझते हैं, बच्चे की शख़्सियत पर जो नुक़ूश मुसबत होते हैं वो
ज़िंदगी भर क़ायम रहते हैं। यही वजह है कि आलम की एहमीयत सब से ज़्यादा है