बदनाम-ए-ज़माना तस्लीमा नसरीन की किताब का रस्म इजरा मंसूख़

कोलकता, ०२ फरवरी:(पी टी आई) जयपुर मैं मलाऊन सलमान रुशदी के तनाज़ा के बाद एक और बदनाम-ए-ज़माना मुतनाज़ा मुसन्निफ़ा तस्लीमा नसरीन की किताब नर बासन (जिलावतनी) की सातवीं जल्द का रस्म इजरा जो कोलकता के किताब मेला में मुक़र्रर था, आज मंसूख़ कर दिया गया ।

मुस्लमानों के शदीद एहतिजाज के अंदेशा की बिना लम्हा आख़िर में ये फ़ैसला किया गया लेकिन पीपुल्ज़ बुक सोसाइटी ने जो इस किताब के नाशिर हैं, दावा किया कि उन्हों ने एहतिजाजी मुज़ाहिरों को नजर अंदाज़ करते हुए किताब का रस्म इजरा अपने स्टाल के बाहर सरकारी मुक़ाम पर अंजाम दिया।

क़ब्लअज़ीं दी पब्लिशरज़ ऐंड बुक सेलर्स गिल्ड ने इस मुक़ाम का ताय्युन कर लिया था जो इस किताब मेला के मुंतज़मीन भी हैं। मलऊन मुसन्निफ़ा ने अपनी किताब की रस्म इजरा मंसूख़ होने पर ट्वीटर पर शदीद ब्रहमी का इज़हार किया।

इस ने लिखा कि कोलकता किताब मेला कमेटी ने मेरी किताब का रस्म इजरा प्रोग्राम आज कोलकता किताब मेला में मंसूख़ कर दिया है। क्यों? बाअज़ मज़हबी जुनूनी इस तक़रीब का इनइक़ाद नहीं चाहते थे।

इस ने अपने ट्वीटर पर तहरीर किया कि पीपुल्ज़ बुक सेलर्स ऐंड पब्लिशर्स ने दोस्तों के साथ मेरी किताब कोलकता किताब मेला में खुले आसमान तले जारी की। किताब का रस्म इजरा एयरकंडीशनिंग हाल में मुक़र्रर था, जिसे ममनू क़रार दिया गया।

सुधाइंग शो डे गिल्ड के सेक्रेटरी ने पी टी आई से कहा कि नाशिरीन की किताब मेला में आडीटोरीयम की बुकिंग मंसूख़ कर दी गई थी क्योंकि किताब के इजरा के दौरान नज़म-ओ-क़ानून का मसला पैदा होने का अंदेशा था।

पुलिस ने कहा कि किताब के रस्म इफ़्तेताह से पहले और बाद में किसी नाख़ुशगवार वाक़िया की इत्तिला नहीं मिली। कल हिंद अक़ल्लीयती फ़ोर्म के सदर इदरीस अली फ़ौरी इस मुक़ाम पर पहुंचे और मुतनाज़ा किताब के रस्म इजरा पर इज़हार-ए-नाराज़गी करते हुए कहा कि इस का मक़सद मुस्लमानों के जज़बात मजरूह करना है।

किताब मेला में मौजूद मलाऊन तस्लीमा के मद्दाहों ने नारा बाज़ी की कि मुसन्निफ़ को कोलकता वापस आ जाना चाहीए जहां से उसे 2007 में फ़सादाद के बाद ओहदेदारों ने ज़बरदस्ती रवाना कर दिया था।

तस्लीमा नसरीन ने कहा कि कोलकता एक तरक़्क़ी पसंद शहर है। किताब की रस्म इजरा के वक़्त उन(तस्लीमा)की ग़ैरमौजूदगी के बावजूद तमाम सयासी पार्टीयां तमाम तंज़ीमें जुनूनीयों से ख़ौफ़ज़दा थीं, लेकिन कब तक।

तस्लीमा ने ट्वीटर पर कहा कि उन्हों ने मुझ पर, एक मुसन्निफ़ पर और एक शख़्स पर इमतिना आइद कर दिया। वो किताब का मतन जानना ही नहीं चाहते थे। बंगला देशी मुसन्निफ़ ने ट्वीटर पर तहरीर करते हुए माईक्रो ब्लॉगिंग साईट पर इद्दिआ किया कि कोलकता पुलिस ने कोलकता किताब मेला कमेटी से ख़ाहिश की थी कि किताब के रस्म इजरा का प्रोग्राम एक एयरकंडीशनिंग हाल में मंसूख़ कर दिया जाय।

ऐसी कोई शहादत नहीं मिली कि मुस्लमान कोलकता पुलिस के पास गए थे।

पब्लिशर और दीगर अफ़राद का ख़्याल है कि ये हुकूमत का फ़ैसला था कि मेरी किताब के रस्म इजरा का प्रोग्राम मंसूख़ कर दिया जाय।