अमन-ओ-इंसानियत का अलमबरदार अमरीका जो दहश्तगर्दी के मामूली मामूली वाक़ियात पर हंगामा बरपा करता है, बर्मा में रोहनगी मुस्लमानों की नसल कुशी और क़तल-ए-आम पर ख़ामोश क्यों है।
इन ख़्यालात का इज़हार मुहम्मद तक़ी हुसैन तक़ी कन्वीनर ज़िला कांग्रेस शोबा अक़ल्लीयत महबूबनगर ने सहाफ़त को जारी अपने ब्यान में किया। मुहम्मद तक़ी हुसैन ने कहा कि किसी मुस्लिम दहश्त पसंद ग्रुप की जानिब से या फिर किसी मुस्लिम ममलकत में चंद अफ़राद के क़तल-ए-आम पर वावेला मचाने वाला अमरीका बर्मा में हज़ारों की तादाद में मुस्लमानों के क़तल-ए-आम और मुस्लिम ख़वातीन की आबरूरेज़ी पर ख़ामोश तमाशाई बना हुआ है।
क्या अमरीका को रोहनगी मुस्लमान इंसान नज़र नहीं आते, उन पर ढाया जाने वाला ज़ुलम क्या ज़ुलम नहीं? । मुहम्मद तक़ी हुसैन ने इन मुआमलात पर आलम अरब और आलिम इस्लाम की ख़ामोशी पर भी तकलीफ़ का इज़हार किया और अक़वाम-ए-मुत्तहिदा को एक मुर्दा और मुख़ालिफ़ मुस्लिम इदारा क़रार दिया।