कुवैत में हिंदुस्तानी बिरादरी की अहम शख़्सियत और सरकरदा बिज़नसमैन मुहम्मद होशदार ख़ान ने साबिक़ रियास्ती वज़ीर बशीर बाबू ख़ान के इंतेक़ाल पर गहरे रंज-ओ-ग़म का इज़हार करते हुए मरहूम के ग़मज़दा अरकान ए ख़ानदान से ताज़ियत का इज़हार किया है।
मुहम्मद होशदार ख़ान अपने ताज़ियती बयान में कहा कि बशीर उदीन बाबू ख़ान की मिली-ओ-क़ौमी ख़िदमात नाक़ाबिल फ़रामोश हैं। मरहूम एक अच्छे और सच्चे मुसलमान थे। जिन्होंने मुसलमानों की हिफ़ाज़त तालीम तरक़्क़ी -ओ-ख़ुशहाली और सयासी शऊर की बेदारी के लिए हमेशा मुख़लिसाना जद्द-ओ-जहद की और अपनी इस अज़ीम जद्द-ओ-जहद की राह में हाइल दुशवारीयों का मुक़ाबला क्या।
मुहम्मद होशदार ख़ान ने याद दिलाया कि बशीर बाबू ख़ान ही वो वाहिद मुस्लिम रहनुमा थे जिन्होंने ना सिर्फ़ आंध्र प्रदेश बल्कि सारे हिंदुस्तानी मुसलमानों के जज़बात-ओ-एहसासात की तर्जुमानी करते हुए अपने वज़ारती ओहदे को क़ुर्बान कर दिया था लेकिन उन्होंने कभी मुस्लिम मुफ़ादात पर फ़िर्कापरस्ती से मुफ़ाहमत नहीं की। उन्होंने कहा कि बशीर उद्दीन बाबू ख़ान अगरचे मिल्लत-ए-इस्लामीया की ख़िदमत के लिए हमावक़त सरगर्म रहे इस के साथ वो क़ौमी यक्जहती और सेकुलरिज्म के मिसाली अलमबरदार भी थे। उन्हों ने बाबू ख़ान मरहूम के बर्दार ग़ियास उद्दीन बाबू ख़ान फ़र्ज़ंद सलमान बाबू ख़ान और दुसरे अरकान ख़ानदान से ताज़ियत का इज़हार किया और दुआ की के मरहूम को अल्लाह ताआला ज्वार रहमत में जगह दे दरजात बुलंद फ़रमाए।