चंडीगढ़, 28 अप्रैल: जब से भाई सरबजीत ने लाहौर जेल में जान को खतरे का पैगाम भेजा था, तब से मैं दिल्ली में वज़ीरों से लेकर पाक हाई कमीशन तक वीजा के लिए चक्कर लगा रही हूं।
अब जब वह कोट लखपत जेल में साजिश का शिकार होकर अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझ रहा है, तब पूरे घर वालों को पाकिस्तान जाने का वीजा मिल गया।
अब अस्पताल के बेड पर लेटे भाई से क्या बात करूंगी?’ यह कहना है सरबजीत की बहन दलबीर कौर का।
जुमे की रात जब से सरबजीत पर हमले और उसके अस्पताल में भर्ती होने की खबर आई, रो-रोकर दलबीर की तबियत बिगड़ चुकी है।
हफ्ते की दोपहर दलबीर के दिल का गुबार उस वक्त निकल पड़ा जब वज़ीर ए खारेज़ा परनीत कौर ने उन्हें फोन करके लाहौर जाने का वीजा मिलने की खबर दी।
उन्होंने कहा कि सुबह उनका बीपी बढ़ने और दिल की धड़कनें तेज होने पर डॉक्टर से दवाई लेनी पड़ी। लेकिन, वीजा मिलने से उन्हें थोड़ा राहत है कि घर वाले वाले सरबजीत को देख सकेंगे।
सरबजीत की बड़ी बेटी स्वप्नदीप कौर ने कहा कि घर के एक मेम्बर को पापा के साथ अस्पताल के अंदर रहने की इज़ाज़त मिल गई है।
उन्हें यकीन है कि घर का हर मेम्बर बारी-बारी से सरबजीत के साथ वक्त गुजार सकेगा। उन्होंने हुकूमत ए हिंदुस्तान से अपील की है कि उनके पापा को इलाज के लिए हिंदुस्तान लाया जाए।
वहीं सरबजीत की बीवी गुमसुम है। कोई भी फोन आने पर बेटियों से पूछने लगती हैं क्या शौहर की हालत की नई खबर है।
सरबजीत की रिहाई के लिए मुहिम चलाने वाले लाहौर के वकील ओवैश शेख ने हफ्ते की शाम को बताया कि जिन्ना अस्पताल में उनके मुवक्किल की हालत नाज़ुक है।
इसके बावजूद अस्पताल के इंताज़ामिया कोई इत्तेल्ला नहीं दे रहा है। उन्हें सरबजीत को देखने की इज़ाज़त भी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि इंताज़ामिया की चुप्पी से सरबजीत की हालत को लेकर फिक्र हो रही है।
पाकिस्तान के साबिक वज़ीर और इंसानी हुकूक के कारकुन अंसार बर्नी ने हफ्ते की सुबह सदर आसिफ अली जरदारी को नई अपील भेजकर सरबजीत की फांसी की सजा माफ करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि अगर सदर माफ कर दें तो सरबजीत को इलाज के लिए हिंदुस्तान या कहीं और ले जाया जा सकता है। उसे 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए धमाकों में गुनाहगार मानकर 1991 में मौत की सजा दी गई थी। इस लिहाज से उम्रकैद की सजा वह कई बरस पहले पूरा कर चुका है।